तात्काल भृगुप्रश्न भाषा अर्थात प्रश्न कल्प वृक्ष | Tatkal Bhriguprashna Bhasha Arthat Prashna Kalp Vriksha

Tatkal Bhriguprashna Bhasha Arthat Prashna Kalp Vriksha by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हरदेव का तात्कालिक प्रझन २३ ॥ २३.दहेप्रच्छक अब क्या: फेक्रकर हा तुम्द खशखबरी हानेवालाड 2-इसोगढ़ अब रखरहीअवध्ह तदेभावश्शा म्नो थ पणह | गेपरन्तएफ फिक्र भार्गीदखेंड़े ऊपरसे खचअबहेपासचनविशेपनहीं दी खता परंताबिंतामतकरनाकामबडाइज्जनके | साथबनेगाओरकइजगहसछाभ शोगा करनवालछाओ हे वही फक्रकर रह है अंब विशपलाभक।सूरतह।गा ।मन्रमाचत्त बहुतरहनाहिब. भो चित्तसेप्या रकर है अब तुमशोधइमसका+कीसिद्वब' हे।तो श्री गेगाजी के ५त्राह्मण॒क्षिग्खाड ओरसई चावलददी दान करो का मशी घ फंयडोगाओं रय॒ुप्त छा मद गा धरम चा द ना होगाएककाम गुप्तसे गृततन किस बनाथा सोइंश्वरका ध्यान रक्खे करो




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now