गोरक्षसिद्धान्तसंग्रह | Goraksh Siddhant Sangrah

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Goraksh Siddhant Sangrah by द्रव्येश झा शास्त्री - Dravyesh Jhaa Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्छ भौरक्षसिद्धान्तसं प्रहः भुक्ति के चाहने बालों को चही गुरु बनाना चाहिये। पूर्वजन्मार्जितपुएप के प्रभाय से सुक्ति की इच्ची ऋऐे धाले सब साधने में श्रेष्ठ परभंसाधन थोग हैं। पिद्धासिद्धान्तप्धतों सन्मागश्च योगमार्गलतदितरस्तु पापणंडमार्गः | तदुक्‍्तमादिनाथेन-- “योगमार्गेपु तंग्रेषु दीक्षिता स्वांस्तु दृषकाः । ते हि. पापणिडनः प्रोक्‍्ता स्तथा तेः सहवासिनः || थोगमार्गात्परो मार्गों नास्ति नास्ति अर्तीस्मृतों। शास्तरेप्यन्येप्‌ सर्वेप्‌ शिवेन कथितें पुरा ॥ भा०्-सिद्धप्तिद्धान्तादूति में कद्ठा है क्रि योगमाय ही छच्चा मार्ग है यादी सब परायण्ड मार्ग है| यहो भ्रादिनाथ जी ने भी वद्दा दै कि योगामार्ग में दोक्षित अर्थात्‌ योग मागाघरम्पियों की जो निन्‍दा फ़रते हैं। थे सब दूपफ और पाएडी हैं, भौर जो उनके साथ रहते हैं, ये भी पाषएड्ी हैं। घोगमार्ग से उत्तम मार्ग धुति स्थृति तथा झन्य झाखों में नदों है, ऐसा शिप जी ने कह है। वियेर मात्तयड




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