इतिहास का दर्द | Itihas Ka Dard

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Itihas Ka Dard by रमजीत - Ramjeet

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मर गया ईश्वर । /किस भ्रभागे को भ्ररे इस धूप में दफना रहे हो श्रौर इसकी मोत्त पर क्यो खुशो से चिल्ला रहे हो कोन है ऐसा दिचारा, दो बता २” द “मर गया ईदवर, नहों ठुमको पता २?” “मर यया ईदवर ? ईवर कि जिसने स्वयं श्रपने हाय से धरनों बसायो इलिदृरःप का द३




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