श्रीधर्म्म कल्पद्रुम | Shreedharmm Kalpdrum

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Shreedharmm Kalpdrum by स्वामी दयानन्द -Swami Dayanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ्रीविश्वनाथो जयति । ए्‌ बा श्रीधम्मकल्पदुम । ( तृतीयखण्ड सम्बन्धीय विज्ञापन | ) श्रीभमगवानकी ऋपासे श्रीध्रस्मंकटपद्ुमका तीसरा खण्ड प्रकाशित हुआ | प्रथम खण्डम प्रथम समुल्लासके साधारण धर्म सम्बन्धीय सात अध्याय और द्वितीय समुल्लासके वेद और शास्त्र सम्बन्धीय आठ अध्याय प्रकाशित हुए है। दूसरे खण्डम विशेष धम्मके चार अध्याय प्रकाशित हुए है, अब इस तृतीय खराडमे विशेषधर्ंके आर्यजाति तथा अनायंजातिसे उसकी विशेषता, समाज ओर नेता, राजा व प्रज्ञाधम, भवृत्ति व निवृतक्तिधम और आपद्धर्म नामक पॉँच अध्याय ओर चतुथ समुल्नलालके साधनमार्गके भक्ति व योग और भन्त्रयोग नामक दो अध्याय प्रकाशित हुए है । इसी प्रकारसे आठ समुज्नासोम पूर्ण यह .बृहत्‌ प्रंन्‍्थ कई खराडोमे प्रकाशित होगा । पूजनीय ग्रन्थकरत्ताका विचार यह है कि स्वंल्लोक-हितकर साधारण धर्म ओर विभिन्न अधिकारियोौके उपयोगी विशेष धर्म और वेद्‌ ओर शास्त्रोक्त सब धर्म सिद्धान्त और घर्मजिशासुओके जानने योग्य सब विज्ञान इस वृहत्‌ अन्थ- में विभिन्न विभिन्न अध्यायोमे इस्र प्रकारसे प्रकाशित किया ज्ञाय कि जिससे धर्मजिज्ञासुओका सब अभाव एक ही पुस्तकके द्वारा दूर हो सके, सनातन- धर्मके सर्वत्लोकहितकारी स्वरूपमें साधारण लोगोकी जो जो शड्डाएँ हो सकती है, उसकी पूरी मीमांसा इस बृहत्‌ अन्थमे रहे, धर्मशिक्षाके लिये यह बृहत्‌ अन्थ आधाररूप हो ओर धघर्मंचक्ता, धर्शिक्षक एवम्‌ आचारवान धार्मिक- के लिये समानरूपसे यह बृहत्‌ अ्रन्थ मार्गेदर्शक हो । किस प्रकारके श्रध्यायोसे इस बृद्॒त्‌ अन्थका प्रत्येक समुल्नास पूर्ण है सो तीनों खण्डौकी विषय-सूचीसे पाठकवर्गोंको विदित होगा । और केसे केखे विषय समूह इस बृहत ग्रन्थमें दिये जायेंगे सो माननीय ग्रन्थकारजीने प्रथम- खराडकी प्रस्तावनामें प्रकाशित किया है। इन सब विषयौकों विचारकर इस




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