पत्रावली भाग - 2 | Patravali Bhag - 2

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Patravali Bhag - 2  by स्वामी विवेकानन्द - Swami Vivekanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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:पन्नावलछी उसवी मिटाने का एक उपाय है। गति ही जीवन का छक्षण है॥ अमेरिका एक द्ानदार देश है। दरिधिं। और ल्ियों का वह स्वग है। इस -देश में दरिद्र तो समझिये कोई है दी नहीं और कहीं भी संसार में स्लियोँ इतनी स्वतंत्र, इतनो शिक्षित और इतनी सम्य नहीं हैं| वे समाज में सर्चशक्तिमान हैं। यह एक बड़ी शिक्षा है। संन्‍्यासी में अपने संन्यास का कोई भें अश नहीं खोया, यहाँ तक कि अपने रहने का तरीका भी नहीं खोया। इस सब्कारशील दे में दर घर मेरे लिए खुला है। जिस ईश्वर ने भारत में मुझे मार्ग दिखाया क्‍या बह मुझे यहाँ न मार्ग दिखाता ओर उसने दिखाया है। जाप कदाबित्‌ पह न समझ सके होंगे कि अगेरीक्षा में संन्‍्यासी का कया काम दे, परन्‍तु यह आवश्यक था। क्योंकि संसार में परिचित होने के लिए आपका एक ही अधिकार है जोर ' चह है आपका धम और यद्द आवश्यक है कि हमोरे धार्मिक पुरुष आदर्श रूप में परदेशों में भेजे जहँ जिसमें दूसरे राष्ट्रों को माछम हो कि भारत मरा नहीं है। प्रतिनिधि रूप से छुछ लोगों को भारत से बाहर सब्र॒ देशों में जाना चाहिये, कम से कम यद्द दिखलाने को कि आप लोग जहन्नली * मलुष्य नही हैँ | मारत में अपने घर में बैंठे-वरेठे शायद आपको इसकी आवश्यकता न मादम होती हो परन्तु विश्वास रखिये कि आपके 5१




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