श्री राधा का क्रमविकास | Shree Radha Ka Kramvikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( शए)
घटित घौए भध्षटित को समाव बनानेबालौ विप्पुविष्णृप्रमा के बन में
स्वाम-स्पात पर कहा एया है कि यह देगी सदेवामुर-ममुप्य सारे संतार का
प्रात कस्ती है औौर फिर सृजन करती है। कया महा प्रकष्मीदेवी के गज
मष्तथ घौर ग्जन्मोक्तप का तात्पयें है? ब्या द्वापौ जैसा विशाल पशु
डिश” बिएज-प्रह्मस्य का हो प्रतीक माज है ? हस्सार' प्लाहि प्रर्सों में
हस लध्मी का जो प्याममस्त्र पाते है, बहाँ सप्मौ के दोगो शोर
हेमशुम्भपारी करिशम का उस्सेस देखते है।
जिप्त-हृप्बिंग में रेखते है कि भी थौ प्रौर प्रप्नति मित्य ईप्य में
विराजमान है। बिप्सू-पुराथ में विष्यृप्कित महामायां भूति सप्नति
डरीति क्षान्ति प्रो पृष्योी घृति शम्शा पुष्टि, ऊपा कष्टौ पई है।
बूसरे पुराषों में मौ बहुतेरी प्रकार की सक्षतियों का उस्सेख दिखायी पहुता
है | एक्ति के एस प्रकार के अहुतेरे उस्लेलों की बात इमसे प्रात ग्रस्थो
में दैपी है। तरबसार में ्गरौ कसा सब्मी प्रादि सह्ष्मी के बारह
सात पौर क्कसल्ूपुराण में छप्मो प्रपाक्रणमा परप्रा कमला प्री पृति प्रमा
पादि सत्तरह गार्मो छा उत्लेल पाते हैं। विप्पु की सौ भौर भू इत दो
पक्षियों पा भी भू धौर लौता इन तौम पक्षितयों का रस््सेज भौ बहुत
मिश्रदा है। अ्म-पुराष में प्रब्मी भौर प्रतश्मौ में कापी कप्तह दिवाई
पड़ता है। ब्र्मगैगर्त भारष्यय स्कन्द प्राहि पुराषों में शक््मी के प्रिम
प्रप्रिप स्पक्तित ढ्र्य प्लौर स््थास का विशइ विवेचन हैं।
पहले ही गद्धा है कि पुराणों के धर्दर शश्मी के झई बघत है जो
जाफ ही किसी तत्व पर प्राबारिण सही हैं उसमें खलश्मी के सम्बन्म में
(१) घरपेथ जगत तर्द सदबासुरमानुवम्।
मौहणामि पिजभेप्ठा प्रतामि विसुजानि च॑।।
कर्म-पुराण (पूर्ण भाग) १/३२
(२) दरदसों दाल के बदयौर ध्रारि को प्रहसिष्य-ऋदिता स इस भाद
का भाजास पिसता है।
(३) दास््या शारचन-लप्निणं हिसगिपिपरल्य॑श्बतुर्सिगंज-
हँप्वोपूलिप्तफ्पध्वदामुतपर्ट रासिध्यनार्ना सिपप । इत्पाहि।
छुसलततौप--आशिषयशलिपप्रमा॑ हिपनिरभैस्तुमाचतु्सिमर्ण
ईस्लप्राहितरश्भपुस्मतलिलेरासिप्यपातां शहा। हापारि।
(६४) १०१७३ (इंयदासौ) झप्दशक्परम में उद्धत ।
(४) ४४१८१
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