आरोग्य दर्पण खंड १ | Arogyadarpana Khand-i

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Arogyadarpana Khand-i by जगन्नाथ शर्मा - Jagannath Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हा रः . आरोग्य दर्पण । *« प्रस्तावना॥ ह खजन पाऊन है फत्तों इश्वर ने इस स्थूल भूचम फार्रण एवं प्च्ल तत्वभय इन्द्रियादिं सह्ठित इस सनुप्य शरोर फेः उत्पदाए कि और इसर्मे | इस शरोर द्वारा उपयुक्त यहां सक शक्ति दे दौ है कि यही समुप्य दए लौकिक घसे जथे, फाम जौर पार लौकिफ गोछ के भो मिद्द फर सक्ता है परन्तु इन सबों फा मुख्य फारण आारोग्यता है । जिस शरीर में आरों- ग्यता नहीं छ्ोती यह समस्त भूमण्ल का राजा छ्लोने पर और चौशठ फला खिद्या निधान रहने पर भी उपरोक्त चारो पदार्थों से ब्चेत रएला-हि । छ्वाथ वह आारेण्यता जैसी कि अ्रघ चाहिये फहों नएों दिसलाई देती । पुरा फाल में इसी भूमण्डल फे भध्य में आरोग्य प्रभायं से कैसे २ मोर पुरुष और वेदोपबेद के आद्योपान्त बेत्ता अनेफ सह पि हुये हैं कि शिन- फी शिस्पात जब सफ सब सलुप्यों फे छुद्यस्य छे रहा ऐ। थोड़ेही रोज . | हुये कि इसी भध्य प्रदेश में आएडा ऊदल दुयाराम आदिफ अति बयान और भीघर आदिफ फैसे ,सिद्वान हुये हैं कि शिनका शतांश भो आज फछ के भनजुष्यों में होना दुष्कर ऐ, बतेमान में दी देखिये हम छोगे पी परपेक्षा इस सभ्य इमुलेणड के छेगग इसो दिन चस्पे। राहि घप्ये| के उत्तम णापरंण से कैसे २ फाम फर रहे हैं फि जिनके फेयर्ल यंत्र मिद्याओों के देख फर एफ दूसरे प्रत्षा फा अवतार सानना पड़ता है। इस से सथे से .मधसा्वेें: फारेग्यता पर सब के ध्यान/देना ढवश्य चाहिये । यदयतिं णोग रिप्ट पुष्ट और, अपने काम फाज में लिपटे झुधे.:दिखाई देते / छे फिन प्रायः देखने में यही आता ऐ फि लोग सिच्याहार शि्दारादि ! े क् द्टाण रोगाफुण छ्लो एशर में चाहे दो;चार पूर्ण आयु के भाप्त होते हे 1 वाह सब प्रकाछ हो में मृत्यु के प्राप्त होते हैं। बेदू में भो मभाण ऐ १; नगुण शत क्ीची हूं परंच बिकसे/ फे प्रभाव (सांसारिक बरे आंधरणा) से (प्री के 5 2५ का कह - | हास बस ऐेते हैं। घह बेद्‌ हा फचन प्रत्यक्ष देखने में जाता है ्ः हक छपा




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