मिताक्षरा सटीक | Mitakshara Satik
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
891
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand); 1. प , शदेप्मरदायभागसमा पिपररणमर्
॥)1 | ४२] ३ | सोमा.निर्षायक विहुत, प्रदर्धन परिच्े
१३६ | २८ | ९४ |.सौमा ,चि६हुनभावें गिषयोपाय परिष्केद:
१७ | ९.७ ७ | सोमज्ार्जावहुनयोरभाधेनिशधप्रकार४रिचछेद:
१४४ १९ | ६९ इदादि शोमास्थापपशविग्रेरतिदेश पस्प्डिंद
धर 'शर्तेतीषाक्रादपरएणमु! '
.४६ | १४ (६४ | पयुध्यतिफ्रमे श्वामिपात्तद इशिप परिच्ेदः
1६३ | १४ | ६५ | दथुनटेगेस्व| मिपपरलमियाद परिष्केद:
- - , | “- इतिपशुम्पाक्तकमबादपुरुरणम
१६६ | २१,६९८ | अस्व्धसाइफ यियादें एरिप्क: न
है ही हल इत्पस्थामिविक्रपप्रररणम्
, १८० | २९ | ४० | दानविवादें देयादेंयादिलकषएमेद परिच्छ३ :
इदिदानाबैबादफूकरंणमर् , /- ५
११४ | १ | ० | फ्रीवाजुयण विधादत,मक परिछेद: *
इंटिक्रातानशयस्पत दा रपर रणरू
६०२ | १६ | «२ | सेबाधर्म शिवादे अभ्यये यायपू वा परिच्छ दा
1 - . नूतिप्लेबोप्रमादवादंपंऋरणणणु . .
“(३० | १४ | ५३ | छंघिटूय तिकमनाम ण्ाद् परिच्छे
+ ।.।_ इविप्तोविद्यपतिक्रपाज्यप्रकरणम
६३३ | २८ | ५४ | बेतमादानणियांदे परिच्छेद३ -, «
|
दड4 51४25 56लव ० स कब ब्लड कक
/मिताक्षरा सं? के परिच्छेद्ों का सचीपत्रा .
;!
/ पररिष्देंदाबानामानि
.] लुत्तणत 5
सभानिदुपशम् #
का ब्रर
श्र ३
प्र ११
श्ण हद
ब् हि
१९३ | रूथ्या नो दुमः ४ ५ श्र
१( | व्यपह्ार विषयों ड्वितोय: परिच्छेद: (२) ० | २५
१३ | व्याक्ार स्थ्ट्प् ९ «५, 5 रा र
२१ | व्यपरहारश् द्वे विध्यत *+« झ्३ | १३
१३ | व्यश्द्रस्य अष्टादय भेद: पु श्ड | ६६
रब | व्यवहार: प्यधप्रेद सडानफ्रेदादनीए, - ३३ | ३३२
३१ | रकेंत बाहिना या बहुमिव्य बद्प: - 2 सह रे
१३ | आइबरानविधश्सृतींयपरिच्छेरः ( ३) श्३ | श्
३६ | फा्यो्धितिप्र लप्रशएः ् शत
$ “| शर्धिलबादुपानाआए ५
* | दातहमाइदए पियाद परिच्छेद:. ५
इंतशूतसमाइन्यप्रररणम «
वाइप+पष्यांयबादे परस्स्क्रंद: *
इतिदाझपारुच्यविवादएररणप्र
इंडपारुष्यनारफषियाद परिच्कद: ,' *,
शततदर इृपारुप्पा ४दा द एक रण ए्
साइसवामबितर प्रिच्छेद: '-('
डपहाइसइपफप माँयां परिच्केद: ४. ४
४1६ इतिसराइमोपसाहत्तयो।एकरणरश
विक्लोयासंप्रदारजियाप्दे परिच्देद:
इतिविकी यासंप्रद नपकर णेम_
«! | पझंभूयसमुत्योनफ्मशिधियाद परिच्छेदः
>- * 'हतिसंमूषसमृत्पानप्करणम् | « *
पर |, घोणविज्वादें स्वेग्नामंक परिस्केद 1
: | 5+, “इठिचापब्दादएररणम
५३ | परस्वोसंग्रहए्रपयशिशाद परिस्छ4:
“' , झवेपरसीसंग्रहणपरूरूरणमू
5३.) मपाश्र्य पिशिश्व्यत्रद्राराण परिषद!
. इतिप्रकणेसक्ररानवादिपकरणंध् हे
* हि धपापत्पाध्ुक्रमगिकाप्तमा्ना
अनाइपानयोग्या:
अ्रनाहुघान गाग्या:
असेध प्रकायर: ( पेरवा-+परहुना ),
अनाझेध्या:
भावा पादनामक
प्रत्यधिन्यागले सेख्यादि करव्यता
डीनपदीलइर्ध --शदप॑ रविध:
अर्धिम/मा लेह्यतरुण ( इज़दर मुदुई )
प्रदमात विवेक _
अनादेय व्यप्रद्ाराएं पियिक: ० के
अनादेय व्यवहातराणा पुन ॥
अर्धिस्थानेतत्पृतरपोआद्बोप्ययोछतद रॉ
अ्धिएफने प्रतिदेधि रण्सिशति 2 च
अर्धिभाषा घोधने प्राड्वियात: कृर्पात.. ५ *
आर्शि सादा भोधने च उत्तर दशेनाए्प्रमेर
उत्तर पराद प्रक्षियः विषये एंदस परिछझेद ३ (५
प्रतर्यार्धिन उत्तर लेबनम्त
User Reviews
No Reviews | Add Yours...