धर्मशास्त्रीयव्यवस्थासंग्रह | Dharmshastriy Vyavastha Sangrah

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Dharmshastriy Vyavastha Sangrah by सुभद्र शर्मा - Subhadra Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च्यवस्था-पत्र संख्या-४ ११ सन्तानेर कुरशीनांमा एक केता दाखिल करिषेन! । दंप्टे आइक।* तदपरे उभयेर उकिलेरों ऐ कुरशीनामार सत्यतार उपर स्वीकार करिवेक इति। ए सकददमार सम्रस्त कागचेर अजुमोदने जाना गेल्न ये रप्पाडण्ट मुहृद एए.. एजद्वारे सहर 'अजिमावादेर मंध्ये जियाताम्युल महल्था साकिमेर' शुलु चौधुरि पितामहेर ओ पितार स्वोपार्नित मालामाल मिलक्रियंत ओ सकररि आम सकल ओ शोना ओ छूपार अलझूार ओ ओ काँचा पाका बाटी संकल ओ ओगादि पढी' ओ शतरछ्ली ओ गालिचा विछाना भो पितलियां हाडी आदि बासन ओ पोपाकी कापड ओ दोशाला आदि वस्त्र सकल ये मिलकियत मकररि ग्राम सकल ओ ओगादि पाठार उपर स्वत्व शो वाटी सकल ओर अलक्कार ओ शतरज्ी ओ गालिचा श्रादिर किम्मत एकुने आन्दाजि मवलग 6००२ टाका निचेर लिखित माफिक्त दृइबेक राखिया फसली १२९३ सालेर आश्विन मासे मुर्दईके ओ आपन अ्रातुप्पुत्र जगुके उत्तराधिकारिं राखिया मरिलेक, ओ पृठ्यांधिकारि मरणैर पर आपन पृद्योधिकारिर त्यक्त घनेर उपर दखिल आओ भोगी हुइल । वाह्ार' पर आमार भ्रावा जयु फसली १२१६ सालेर १० माघ मासे केबल आमाके उत्तराधि( कारी ) राखिआ मरिल।! एड क्षणे ऐ जगु(र) ल्री मसम्मात दिपु व्यक्त धनेर डपर दखिल हुइया दुसु नाम जगुर भागिनेयक्रे आपन सालिक मक्‍तार जानिया समस्त धन, चख्र ओ श्राम आदिर उपस्व॒त्यथ भोग कराइते छे, ओ आमाके, जो उत्तराधिकारि घटी, बेदेखल करे इति। जगु बावुर स्रिदीपु ओ ऐ जगु वांवुर भागिनेय दसुलालेर उपर _ १, करिलेन--इति साधीयान्‌ पाठः की हे २, साढिनेर इति साधीयान्‌ पाठ: । 2, भोगाद कुठी 1 छः ४ “ओगाशिपाटी! इत्यपि पढठितु रागयते। ६ ३ ताद्यार तांदार-रति ब्यप्र० 1




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