महाभारत शल्यपर्व | Mahabharata Shalyaparva
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.03 MB
कुल पष्ठ :
458
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भष्याय ३] ९, बाह्यपर्व । ५
दममामदा ०5>982992227 की पदनग
| बहुवो निहताः सून महेन्द्रसमविक्रमा। ! पर
थ नानादेशसमाधृत्ता क्षत्रिया थत्र सहझ्य . ॥ ४४ ॥ ग
क निहता। समरे से किमन्यद्वाग धेयत। ॥ 1
2 पुन्नाख से विनिहता। पौघ्राआैव सहावला। ॥ ४५ ॥ £
) चयस्वा श्रातरखेव किमन्यद्वागधेयत! | |)
भ भागधघेयसमायुक्ता शुवमुत्पययते नरः ॥ हरे ॥ दर
छ यस्तु भाग्यसमायुक्त! स शुभ प्राहुपान्नर! । 1
) अर चियुक्तस्तेभाग्ये। पुत्रेशचवेह सज्य.. ॥ १७॥ है
कथमय भविष्यामि पृद्ध। शघुवद्यां गत। । पं
ह नान्यदत्र पर मत्पे वनवासाहते प्रभो.. ॥ ८ ॥ पं
है सोडहं चने गमिष्यामि निर्वन्धुज्ञीतिसंक्षये । 1
1 नहि मेडन्यद्रवेच्छेयो चनाभ्युपगमाइते ॥ ४९॥ |
दर हमामचरथां प्राप्र्य ठूनपक्षरय सज्य |
ठ दु्योधनों हतो यत्र दाल्यश्व निहतों युधि ॥ ५० ॥
क दुश्शासनों विविंदा विक्णेश्र महावल! |
पर क्थ हि भीमसेनस्य श्रोष्य४हं दाष्द्सुत्तमस ॥ ५१ ॥
$) एकन समरे पेन हते पुन्नदाते मम | 1
| असकृद्दतस्तस्थ दुर्योधनवधेन ॥ ४२ ॥| 1
# यहां प्रारूषकों छोड किसे ली. |. जगतें सुख होता है, में अल्न्त मन्द प
कहें ॥ ( रेप ४३) भाग्य हूं। इसहीसे मेरे सब्र पुत्र भारे
) हे सरूतपुत्र सजय ! ये सब अनेक दे' गये ॥ ( ४४-४७ ) ।
£ शोसि आये हुए क्षत्री शूरीर शर्लविधा हे सज्ञय ! अब मैं बूढ़ा होकर शन- पं
1 के जाननेवारे और इन्द्रके समान बठ-. |. ओके वहां कैसे रहूंगा? इसकिये पन- |
दर बान थे, सो सब तथा परे बवान बेटे... वास करना ही मेरे हिये अच्छा है, मुझे 1
|) धर पोते मारे गये॥ यहां प्रारूधके | पनकों जानेके सिवाय और की बातमें £
1 सिवाय किसको गरुवान कह ?मेरीदी | करबाण नहीं होगा । इनरिपे बनहीकों )
प्रारण्धे मरे सब भाई और मित्र भारे चला जांगा | हे सक्लय! में इस समय )
पर गये, महुष्य प्रारम्धह्वीके बहमें होकर. पहरहित पीके समान होगया हूं।
हि जन्म हेता है ॥ हे सक्षय 1 पारम्धदीसि.।. देखो दु्बोधन ओर शब्य भी मारे गये।
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