महाभारत शल्यपर्व | Mahabharata Shalyaparva

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Mahabharata Shalyaparva by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भष्याय ३] ९, बाह्यपर्व । ५ दममामदा ०5>982992227 की पदनग | बहुवो निहताः सून महेन्द्रसमविक्रमा। ! पर थ नानादेशसमाधृत्ता क्षत्रिया थत्र सहझ्य . ॥ ४४ ॥ ग क निहता। समरे से किमन्यद्वाग धेयत। ॥ 1 2 पुन्नाख से विनिहता। पौघ्राआैव सहावला। ॥ ४५ ॥ £ ) चयस्वा श्रातरखेव किमन्यद्वागधेयत! | |) भ भागधघेयसमायुक्ता शुवमुत्पययते नरः ॥ हरे ॥ दर छ यस्तु भाग्यसमायुक्त! स शुभ प्राहुपान्नर! । 1 ) अर चियुक्तस्तेभाग्ये। पुत्रेशचवेह सज्य.. ॥ १७॥ है कथमय भविष्यामि पृद्ध। शघुवद्यां गत। । पं ह नान्यदत्र पर मत्पे वनवासाहते प्रभो.. ॥ ८ ॥ पं है सोडहं चने गमिष्यामि निर्वन्धुज्ञीतिसंक्षये । 1 1 नहि मेडन्यद्रवेच्छेयो चनाभ्युपगमाइते ॥ ४९॥ | दर हमामचरथां प्राप्र्य ठूनपक्षरय सज्य | ठ दु्योधनों हतो यत्र दाल्यश्व निहतों युधि ॥ ५० ॥ क दुश्शासनों विविंदा विक्णेश्र महावल! | पर क्थ हि भीमसेनस्य श्रोष्य४हं दाष्द्सुत्तमस ॥ ५१ ॥ $) एकन समरे पेन हते पुन्नदाते मम | 1 | असकृद्दतस्तस्थ दुर्योधनवधेन ॥ ४२ ॥| 1 # यहां प्रारूषकों छोड किसे ली. |. जगतें सुख होता है, में अल्न्त मन्द प कहें ॥ ( रेप ४३) भाग्य हूं। इसहीसे मेरे सब्र पुत्र भारे ) हे सरूतपुत्र सजय ! ये सब अनेक दे' गये ॥ ( ४४-४७ ) । £ शोसि आये हुए क्षत्री शूरीर शर्लविधा हे सज्ञय ! अब मैं बूढ़ा होकर शन- पं 1 के जाननेवारे और इन्द्रके समान बठ-. |. ओके वहां कैसे रहूंगा? इसकिये पन- | दर बान थे, सो सब तथा परे बवान बेटे... वास करना ही मेरे हिये अच्छा है, मुझे 1 |) धर पोते मारे गये॥ यहां प्रारूधके | पनकों जानेके सिवाय और की बातमें £ 1 सिवाय किसको गरुवान कह ?मेरीदी | करबाण नहीं होगा । इनरिपे बनहीकों ) प्रारण्धे मरे सब भाई और मित्र भारे चला जांगा | हे सक्लय! में इस समय ) पर गये, महुष्य प्रारम्धह्वीके बहमें होकर. पहरहित पीके समान होगया हूं। हि जन्म हेता है ॥ हे सक्षय 1 पारम्धदीसि.।. देखो दु्बोधन ओर शब्य भी मारे गये। रि इर८6८९स6८८०९6९सशत९७५००७९९०5२९९९७१७०९9००००७३१ैफिमिकिकेलेनिरिनिरिनिनिडेमिनिशिशिडिकक




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