सचित्र महाभारत भाषा टीका | Sachitra Mahabharat Bhasha Tika Ank-viii

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Sachitra Mahabharat Bhasha Tika Ank-viii by माधव शास्त्री भण्डारी - Madhav Shastri Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय ५५ | प्रद्यामारत [ रेषण्रे प्री ७का अत चआ छ छा छ.# 5 हा ज छ उस आज छा ७ छा ७ आ ७ हज आए आस छा छ 178 आफ३ ० ० रू, था शा अथ पचपचाणत्ततमाउध्यायः: ॥ ५५ ॥॥ दुर्केधत दवाच--न भेतठयं सहाराज न शोच्या भवता वयम्‌ । क समर्थाः सम पराज्जेतुं बलिनः समरे विभों ॥ ९ ॥ चने प्रत्नाजितान्पाधोन्यदाउउयान्मघुसूदनः । 24 ७. 2 क.# सच # 8 2 सा # का च #ऋ छा थक 3 अ आए रे. आ ये छा ७ #7 च ६ आ चर आप छत जे बह आ च७#र चर उधर चर आ. का ३०, 25 सहता चलठचक्रण परराष्ट्रामादना ॥ ककया धुप्टकतुश्चव धरष्टद्युन्नश्ष पापतः 1 राजानश्वाउन्चयु पाथोन्चहवो<न्येडनुयायिनः ॥ है ॥ा इंद्रधस्थस्य चाउद्रात्समाजग्मुमहारथा | व्यगहयश्व संगम्य स्वत कुरु भा सह 0 हे ते याधाएरसासानमाजतें: प्रातवासतम्र 1 कऋष्णप्रधानाः संहत्य पर्युपासंत भारत पे धत्यादान च राज्यस्थ कायमूचुनराधपा 1 भचतः सानुवंधस्य समुच्छेदं चिकीपंवः . ॥ श्रुत्ता चव मयाक्तास्तु भाष्मद्राणकृपास्तदा | ज्ञातिक्षयभयाद्वार्जन्भीतेन भरतपभ का ततः स्थास्यंति समये पांडवा ज्ञाति में सातिः । समुच्छेदं हि नः कृत्स्नं वासुद्वश्चिकीपति ॥ ऋते च वढुरात्सवं सूय वध्या समता सम 1 छत्तराष्टरस्तु घमज्ञा न वध्यः कुरुसत्तमः ॥ पनरपनर्वा अध्याय ॥ ५० ॥ दुर्योधन ने पिता से कहा--टे मद्ाराज | शाप न तो मयभीत होवें और न दमो! लिए शोक ही करें । दम लोग अ्रवरू अगुओं को उद्र में इता सको। | वन में गये हुए पाण्डत्रों के पाप्त जब कृष्ण गये थे तब शन्रुशज्य को पीड़ा पहुंचानेवारी | बहुत सी सेना साथ लेकर केक्यदिश के राजकुमार पृष्टयुम्न, प्ृष्टकेतु भादि पाण्डवों के अनुणशमी अनेक मद्गारथी शाज्ा इनसे मिलने गये ये | टस समय पाण्डव छोग इन्द्रप्र्य से योड़ी द्वी दूर पर थे । काडी मगछाटा पहने चनवासी युधिष्ठि! के पाम अर आओ, आफ, बच आफ आफ आफ आओ आज आओ अप त रे आओ, 2 बे आओ, #च # 8 # स - # (2 बैठकर श्रीकृष्ण आदि उन सब राजाओं ने आपकी आऔर कौरवों की जी भरकर निनदा की गौर पाण्डवों को म्राहा ॥१19॥ सबने युधिप्ठिर से कहा कि कीरवे। से राज्य के लेना ही तुमख्दारा कर्तव्य है। मुझे जब प्राउम हुमा कि बढ़ सब लोग आपकी और आपके देंडा को म्रिद्या देना चाहते ६ तव जातिनान के मय से भेंने सीष्म, द्वोणाचार्य, कृपाचारय आादे से कट्ठा 'फह्लि ८ झक्ृप्ण हम कोरदों का सपनाश कावाना चाहते ६ । मुझे निइवय दे ।# भोकृष्ण के कटने आज 27२8 आह क। &/ ९ # ७ 1014, 3423 #&ज » ७ ८७ & 0८५ ८0७ 3 .#% ८7५ छ ७५ 20५ आप धन ८7 टच, पते




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