विक्रमोर्वशीयम् | Vikramorvashiyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
206
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ अश्वपत्रस ॥
659७:४८९४३४
समयो होरासादेम, विक्रमोवेशीये प्रश्नाः, पूर्णाहुगः 50.
(क) महाकावि कालिदास का समय निणेय करों:--
(ख) “ विक्रमोवेशीय ' पद् का वाच्या्थ लिखकर यह भी
बताओ कि इसकी कथा कहां से छीगई हे ?
(क) द्वि्तायाडुग कया लिखकर श्रधोलिखितां के लक्षण
लिखो+--
“प्रस्तावना” “विदूषक” “कचुकी” “विष्कम्भ$!
(ख) इनका परिचय दो:-- द
“पुरूरवा चिन्नलेखा'” “नारद”
निम्नलिखित वाकयों का भावार्थ सरल हिन्दी-भाषा
में लिखोः--
(अर) न द्वि अक्तिदुखितः सम्पुखे दीपशिखां सहते ।
(श्र) अनुत्छुकता खलु विक्तमालंकार: ।
(इ) परिभवास्पदं दशाविपयंय: ।
(६) अनिबंद्प्राप्याणि श्रयांखि | ह ६
नीचे लिखे पद्यो का आशय श्रपनी भाषा मे स्प
करों:--
(क) प्रियवचननशतो<पि योषितां,
द्यितजनानुनयों रसादते ।
प्रविशति हृदय न तद्विदां,
मणिरिव कृतजिमरागयोजितः ॥
(ख) स्वाथोत् सतां गुरुतरा प्रणयिक्रियेव ।
(ग) विभवितेकदेशन स्तेयं यदीमभियुज्यत ।
(घ) यद्वोपनत दुःखात्सुख तद रसवत्तरम |
निर्वाणाय तरुच्छाया तप्तस्य हि विशेषतः ॥
मोट-उत्तर सम्बद्ध तथा सारगर्नित-भाषा में हां ।
दवा दी
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