विक्रमोर्वशीयम् | Vikramorvashiyam

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Vikramorvashiyam by आशानन्दन वर्मा - Aashanandan Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ अश्वपत्रस ॥ 659७:४८९४३४ समयो होरासादेम, विक्रमोवेशीये प्रश्नाः, पूर्णाहुगः 50. (क) महाकावि कालिदास का समय निणेय करों:-- (ख) “ विक्रमोवेशीय ' पद्‌ का वाच्या्थ लिखकर यह भी बताओ कि इसकी कथा कहां से छीगई हे ? (क) द्वि्तायाडुग कया लिखकर श्रधोलिखितां के लक्षण लिखो+-- “प्रस्तावना” “विदूषक” “कचुकी” “विष्कम्भ$! (ख) इनका परिचय दो:-- द “पुरूरवा चिन्नलेखा'” “नारद” निम्नलिखित वाकयों का भावार्थ सरल हिन्दी-भाषा में लिखोः-- (अर) न द्वि अक्तिदुखितः सम्पुखे दीपशिखां सहते । (श्र) अनुत्छुकता खलु विक्तमालंकार: । (इ) परिभवास्पदं दशाविपयंय: । (६) अनिबंद्प्राप्याणि श्रयांखि | ह ६ नीचे लिखे पद्यो का आशय श्रपनी भाषा मे स्प करों:-- (क) प्रियवचननशतो<पि योषितां, द्यितजनानुनयों रसादते । प्रविशति हृदय न तद्विदां, मणिरिव कृतजिमरागयोजितः ॥ (ख) स्वाथोत्‌ सतां गुरुतरा प्रणयिक्रियेव । (ग) विभवितेकदेशन स्तेयं यदीमभियुज्यत । (घ) यद्वोपनत दुःखात्सुख तद रसवत्तरम | निर्वाणाय तरुच्छाया तप्तस्य हि विशेषतः ॥ मोट-उत्तर सम्बद्ध तथा सारगर्नित-भाषा में हां । दवा दी




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