कचनार की टहनी | Kachanar Ki Tahani

Kachanar Ki Tahani by चंद्रसेन विराट - Chandrasen Virat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चरित्र नहीं है हो सम्पन्न शहर पर दुःख है उसका शुद्ध चरित्र नहीं और भले सब कुछ हो लेकिन वातावरण पवित्र नहीं उस्म्हाड न श्पः क़त्रिम संवेदन है सारे छली औपचारिकता कवर तात्कालिक सहयात्री भर हैं कोई सच्च मित्र नहीं ! सुख सुविधा भोगों के पीछे आँसू चीखें भाह करा! फ़रम काँच कीमती भले हों लेकिन उजला चित्र नहीं कचनार की टहनी ': १६




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