हर्षचरित | Harsha Charitr

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Harsha Charitr by जगनाथ पाठक - Jagnath Pathak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जगनाथ पाठक - Jagnath Pathak

Add Infomation AboutJagnath Pathak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( २३ ) ओ। उनकी रानी विछासवती थी । उनके शुणवान्‌ महामन्त्री शुकनात थे। वट्टी प्रतीक्षा के वाद राजा को एक पुत्र होता है। उस्तों समय शुकनास की पलो मनोरमा के गमे से ओ पुत्र होता है। राजा के पुत्र का नाम चन्द्रापीट था और झुकनास के पुत्र का नाम पैशम्पायन | दोनों ने एक साथ शझुरुकुछ में अध्ययन किया। दोनों दिग्विजय के छिए सेना लेकर सिकल पे । राजकुमार चन्द्रापीट एक वार किन्नर-मिथुन का पीा करते हुए यहत दूर अच्छोद नामक सरोवर के समोप पहुँच गए। वहां महाश्वेता नामक एक तपस्विनी गन्धर्वकन्या मिलती है। पूछने पर अवगत हुआ कि उसका अभीषप्सित प्रिय पुण्टरीक मिलने के पूर्व ही झृत्यु को प्राप्त हुआ। प्रिय के भावी मिलन की भाश्या में वद्द अच्छोद सरोवर के किनारे रहने लगी थी। उस्तकी सखी काठस्बरी ने भी कौमार्यश्रत धारण किया था। वद चन्द्रापीट को काठस्वर्र के पास ले जाती है | वहाँ प्रथम साक्षात्कार मैं ही चन्द्रापैड और कादस्वरी दोनों अनुरक्त दो जाते दे । चन्द्रापोंट फिर छीट कर सपने स्थान पर जाते है। वहाँ से पिता का पत्र पाकर अकेले घर आ जाते ६ । घर से फेर स्वन्धावार पहुँच कर वेशम्पायन को वहाँ न देख दौढे-ठौडे महाश्वेता के पास जाते है । मद्दाश्वेता ने जव यह कष्दा कि मुझसे उसने प्रणययाचना की तो मैने उसको शुक वना दिया, तो इस प्रकार जपने सुद्दद को आपत्ति से चन्द्रापीट के प्राण निकल जाते है । वहाँ कादखर्री भी पहुँचकर चन्द्रापीट के पुन मिलन की आशा से उनके शवश्रीर की सेवा एरतो है । यहाँ जावालि की कथा समाप्त दो जाती है। सब शुफ ने घुट्कक से कद्ा कि मे जावालि के जाश्रम से महाबेता के लिए उट चला गे वाच ही में चाण्टाल्कन्यका ने पकट कर मुझे आप के समोौप ला दिया। तव चाण्टाल- इन्‍यका ने कह कि में लष्ष्मों हूँ, यट शुक पुण्टरीक है और आप चन्द्रापीट है । शुद्रद को पदखरी का प्रेम स्मृत हो उठा । उनके प्राण निकल यए और उपर चन्द्रापीट जीवित हो 7ए। शुक की आत्मा भी पुण्टरीक के मृत शरीर में जाकर पुत मिल गई, जो चन्द्रलोक ३ चुरक्षित था। तत्पश्चात्‌ मदाश्रेता और पृण्टरीक, कादस्वरी और चन्द्रापोट सव एकत्र ते गए ओर विवाहित होकर सुख-पूर्वक रहने लगे इस प्रकार कादखरी अनेक अप्राइतिक घटनाओं से भरी ऐोने पर भो कुतूहल उत्पन्न इरने में अपूर्व है। उत्हकता तो कथा के आरन्म में चण्टालकन्या द्वारा शद्॒क की सभा पं देशम्पायन शुक्त के लाए जाने से दी लेकर आरन्म हो जाती है और पाठक को वरवस आगे बदने के लिए बाध्य होना पटता है। कवा की प्रधान नायिका काठन्बरो वटी रम्बी पग्न के बाद मिलतो है। अनेक उपकथाएँ मो साथ-साथ चल पटती एई जो कथा के पृत्र में पुष्टि लाने का काम करती एे। मद्याखेता की प्रगयकथा काठस्थरी की प्रगयकथा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now