कीट | Kiit

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Kiit by एम. एस. मणि - M. S. Maniनरेन्द्र सिंह चौहान - Narendra Singh Chauhan

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नरेन्द्र सिंह चौहान - Narendra Singh Chauhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कीटों की भरमार ष से कीट इस रूप में भी भिन्न हैं कि इनमें सुस्पष्ट सिर वक्ष और उदर होता है। कीट के सिर पर एक जोड़ी अत्यधिक संवेदनशील स्पर्शक श्रंगिकाएं होती हैं जिनके द्वारा यह न कंवल अपने रास्ते की अनुभूति करता है बल्कि सूंघता बेतार के संदेश ग्रहण करता और भेजता भी है। इसके अतिरिक्त ये बहुत से कल्पना से परे आश्चर्यजनक क्रियाकलाप भी करते हैं । दृष्टि के लिए सिर पर एक जोड़ी अत्यंत जटिल अंग होते हैं जिन्हें संयुक्त नेत्र कहते हैं जो कभी कभी लगभग 20 000 नेत्रों से मिलकर बनते हैं। उह यांगें वक्ष तक ही सीमित होती हैं । अधिकांश कीटों के वक्ष में एक या दो जोड़ी पंख होते हैं । वस्तुतया पक्षियों से भी लाखों वर्ष पहने कीट ही वे पहले प्राणी थे जो पृथ्वी पर उइ़ते फिरते थे । कीट की शरीर संग्चना का एक चमत्कार यह है कि इसकी टेह एक खोखली कवच-पट़ियों से बने खोल में स्थित रहती है। इस खोल का हल्कापन ठोसपन दृट़ता लचीलापन भौतिक सामर्थ्य और अनेक संक्षारक और हानिकारक रसायनों के प्रति रोधक्षमता कीट के लिए कर्ड तरह से सुविधाजनक है । कवच-पट़ियों से टेह कंकात्त बनता है जा शरीर का बाहरी भाग होता है और साथ ही हमारे कंकाल को त्तरह भारी और अस्थिमय नहीं होता । इस चहिंश्कंकाल (वाहरी कंकाल) के विशिप्ट गुण काइटिन नामक जटिल रासायनिक यौगिक के कारण होते हैं। कीट शारीरिकी का दूसरा आश्चय इसका श्वसन है । मनुप्य और दुसरे अन्य प्राणियों में जिनसे हम परिचित हैं सांस के साथ हवा फंफड़ों के अंदर जाती है। हटय रक्त को फेफड़ों में पंप करता है ताकि रक्त अपनी कार्बन डाइआक्साइड के बदने में हवा से आक्सीजन ले सके । उसके बाद रक्त आक्सीजन की आवश्यक सप्लाई को ऊतकों तक ले जाता है। यह सब रक्त में हीमोग्लोबिन नामक एक विशेष श्वसन-वर्णक होने के कारण होता है । हीमोग्लोबिन की आक्सीजन से अत्यधिक बंधुता होती है । जिसके साथ यह एक अस्थायी यौगिक बनता हैं जो ऊतकों को शीघ्रता से आक्सीजन दे टेता है । लेकिन कीट के रक्त में हीमोग्लोबिन नहीं होता । रक्त का कोई श्वसन कार्य नहीं होता और फेफड़े भी नहीं होते । प्रत्येक कोशिका को आवश्यक वायु उसके भीतर सीधे ही पहुंचती है और यह काम नाजुक शाखायुक्त नलिकाओं कं तंत्र दारा किया जाता है। कीटों की आश्चर्यजनक सहनशक्ति और पेशीय सामर्थ्य का यही रहस्य है । स्टेगहॉर्न भूंग अपने वजन से 90 गुना भारी वजन को खींचकर ले जा सकता है। इस भार को यह बिना थके लगभग आधे घंटे तक अपने शरीर की लंबाई से 30 गुना . स्प्शक कही - ऊर्तेक उा55प€5 भा शुंगिकाएं 7 है. (टाधाव _ इवसन-वर्णक रिडयुगावणिक पोट्र्पाशा . संयुक्त नेत्र 0०एफुएणार्त टफट5 - कोशिका (हा . कवच प्डियां +५70घा 18065 - शाखा युक्त नलिका पा8टीए्टव . संक्ञारक (एलातरिट 10. स्टेगहॉर्न भूंग दबाए स्टॉप पक व न ६0७ (0७ +1 फ़




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