ग्रन्थ रत्न पञ्चकम | Granth Ratna Panchakam

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Granth Ratna Panchakam by कृष्णदास कृत - Krashndas Krat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कृतत्ञतास्वीकार ञ् [१] बीरूनेर के सेठ, कल्कत्तानिवासी, गौरगतजीवन, ओऔमान्‌ हनुमानदाास जी राठी तथा श्रीमान्‌ गोपालदास जी | आप दोनों की हार्दिक सोहाद ता और परम आम्रदता से हम इस अन्य- रस्नपच्चक के प्रकाशन में समय हुए। (<] भ्रीमान्‌ मुरलीवस्भाइदान जी । आप ने इन ग्रन्थों का प्रकाशन में सम्पूर्ण अथे सहायता देकर चिरवाधित किया | [३ ] भ्रीदरिदासदासजी महादय । आप प्राचीन गास्वामि- आचार्य्यो के द्वारा विरिचित अनेक ( लगभग शताधिक ) ग्रन्थों के प्रकाशक हैं। आप ने “अरीकृष्णलीलास्तव” का निजकृत टीका तथा बगानुबाद के साथ प्रथम बार प्रकाशन किया है। [४] भीयुक्त परमपूज्य गोस्वामी रासबिद्दारी जी शास्त्री । आप मे गौरगणोदेशदीपिरा, संफल्पकल्पद्रुम तथा प्रजविलासम्तव का अबुवाद संशेवन काय्ये में सद्ाय देकर एम उपछार किया। (५४ ]प० श्रीनारायणुदेव कीशिक जी, मधुरा गौघाट के निवासो । आप ने श्री कृष्णनीलास्तव तथा राधाकृष्णगणाहे शदीपिया के अनुयाद संशोधन फाय्ये में सद्यायता दी । [६ ] शीगुरु-गीरांगगण--जिन की छकृपासशिया से दम इन प्रन्यों के प्रशाशन में समय हुए ।: छठ क् कक सीन कफससकक्‍क्‍-कस्‍ न असइइंइ नी -_-_-न-न+ +न्‍.._...__ललवल२ल....२ु२ मुद्रर:-रमनज्ञाल यंसल, पुष्पराज प्रेस, मशुसा ।




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