अथर्ववेद भग्ग 1 | Atharvaved Bhag 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Atharvaved Bhag 1  by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

Add Infomation AboutShripad Damodar Satwalekar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ऊ अथब॑बेदके पहिले तीन काण्डोंका ह पारच्‌य ___2.५५+फ्र+--- भधरदेंदर्म २० काण्ड दे। डनमें प्रपम्त तोन काण्डोक्ा यह प्रपम माग है। इसमें यृक्त भोर मंत्र सेग्या इस तह है-- प्रथम काणएड प्रथम झमुषाक प्रषम्त प्रपादक पूक्त सेष्या. शोपेक $ भुद्धिसंबधेग १ विज्प ३ भारोग्ष, सूत्ररोष निवारण पे जक्ष ५ ॥ ३ कह (दुहोप अनुबाइ ही] घर्ंप्रचा बढ ही हि बचच:पापति १६ बापसे मुनि ११ मुषप्रधूति शुतीद ऋगुर1$ १३ शेतमिपारण बञ दं।दरकों नमन 1४ बुढइभू 15% कैतइब -मद्ादत १६ घोरबन्ट्व १६४. ९.) 4. जे न ब््बख बा ब्क कफ में मी मी मे खबुर्ध झनुवाद १७ ३८ १९ २३० २९ ऐ पंचम भनुदाझ श्र २३ ३४ श्थ २६ शक ३८ दए अन॒रारू २९ ३० ३) श्र २६ डथ ६७ 5 हा -_ इज ३७ द्वितीय प्रपाठक रक्तयाद पंद करना सौमापदर्धन द्ाधुनाशन मद्दानधाप्तन्ठ प्रभोपाष्क इंद्यरोगनिवारध इयेतकुएनाशन कुएनाशस चीतठागर दूरी शरण मुणद्राप्ति शिमयी सरी दुरनाश्म बाश्सेश्देत कापुष्दद पेज साधपाट्ड चीइन-शप-मह!गांद! न्ञद् मचुदिदा बह कौ९ दोषादुपव | म॑ 4 #& «४ ब मे मद बा नई मी व ब्ड बम ब्द छ न ब्घ बढ हर २० ३८ ३१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now