उत्तराध्ययनसुत्रम् | Uttaradhyayansutram

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Uttaradhyayansutram Bhag-2 by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्तु जीवन फा निश्चय रफने बाला दी कल का भरोसा कर सकता है. ६११ पुन्नों फा तत्तण धर्मेग्रद्ण करने का सदाग्रद्द अृग्रु का स्पभार्या ( यशा ) के पास कुमारों के साथ दी दीक्षित द्ोने का दढ़ विचार प्रकट फरना भ्रम और यद्ञा या दीक्षा सम्याधी झखवाद छुमारों और भ्रृ्ग तथा यशां फा दीक्षा सम्याधी विचार जानकर कमलावती रानी का मनोहर उक्त्यों दारा इचुकार राजा को भी दीक्षा बे लिए तैयार करना ६२२ दीक्षा लेकर राजा, रानी, पुरोद्धित, उसकी भार्या तथा कुमारों का अलुक्रम से निर्वाण प्राप्त करना ६३६ ६६१२ द्श्४ ६१६ पद्रहवां अध्ययन मिश्ठु के लक्षण दड० मिक्षु शानयुक्त और परिपद्दों को सहन करने वाला दो 1 कुस्रग का परित्याग करने वाल्य दो ६४० स्वर विद्या, आतरिक्ष विद्या, लक्षण विद्या, अगचिकार विद्या-इत्यादि विधाओं से जीवन निर्वादद करने वाला न दो साथशार्र और चैद्यक द्वारा अपनी आजीविका चलाने वाला न दो ६४८ क्षत्रिय ( राजाओं ) आदि का यशो गान करने घाला न दो लौकिक फल के लिए गश्दस्थों तथा अमर्णों का सस्तय (विशेष परिचय ) न करने घाला तथा च्छज च्५० उत्तराष्ययनसूत्रम- [ विपय-सूची आद्वार पानी न मिलने पर द्वेप करने घाला न दो आद्वार पानी लाकर अल्ञकम्पापूर्वर समविभाग करने वाला द्वो तथा नीरस आइार की निन्दा करने वाला न दो देवों, मलुष्यों तथा पश्चुओं के भया नफ दाब्दों को खुनकर भयभीत दोने वाला न दो सांसारिक लोगों के नाना भरमार के विधादों फो छुनकर आत्मध्यान से स्पल्ति दोने वाला न दो. ६५८ शिल्पविद्या द्वारा जीवनयापन करने घाला न दो प्रत्यक्ष अवस्था में शात रहने चाढा दो क द५२ च्षर ६५६ ६९० सोलह॒वाँ अध्ययन दस ब्ह्मचरय॑ समाधि ( स्थिरता ) के स्थान ( उपाय ) ६६५ प्रह्मचारी के योग्य निवालस्थान ६६७ ब्रह्माचारी फे लिए स्रीकथा का निषेघ बह्मचारी के लिए स्त्रियों के साथ पक आसन पर बैठने का निषेध अह्यचारी के लिए सख्तरियों के मनोहर अवयवों को देखने का निधेध ६७२ ब्रह्मधारी के लिए भित्ति आदि के आतररों से ऊ्ती सम्ग1धी विविध शब्दों को सुनने का निषेध अ्रह्मचारी के लिए पूपर्त कामग्रीड़ा की स्घति का निषेघ बह्मचारी के लिए भणीत ( कामो- त्तेज़क ) आद्वार का निषेघ ६८ ६७० द्द्छ्ठ ६७७ ६७०




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