जीवन और व्यवहार | Jivan Aur Vyavahar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वास्तविक सम्पत्ति स्पाग व छलिदान है रुपये पसे का देर
महीँ-बास्तजिक तथा मसएबर सम्पत्तिके स्मामी वे स्यक्ति हैं जो जीवन
जो सुखद बनाते और मासबता के कस्दाण के सिए प्रमत्त करते है त
कि मै लोप जिस्हंनि स््वार्ष पोले तथा भाइडम्बर द्वारा स्पये-पैसे के
हए एकत्रित कर सिए हैं। जो व्यक्ति बसस््तुत दानप्तील प्रौए परमार्पी
है बह पारत पत्थर की भाँति है कि जिसको गह स्पर्ण करता है उस
पोगा बना देता है | जो कोई ऐसे स्वक्ति कौ छगित में रहता है बह
शमुभव शरता है कि उसमे कुछ शोया नहीं वरत् पाया है शऔौर उध्का
शीबन मुषर यया है।
एक ऐसे यंत्र का आविष्कार हुआ है जिसके पु इतमे कोपल
भौर सहित बनाये यये हैं कि इसपे हारा शारीरिक पत्ति के कम-से
बम ध्यय का जनुमान वित्या णा सकता है ढिग्तु यह बुर्माष्य गहीं तो
ओर वया है कि पुर्भो का झनुमान करते शोर सकल जीवन को मापने
बा भ्राज तक कोई यंत्र लहीं दवा । यदि कोई ऐसी कल ससार में बन
जाती तो का लक्षपति अपना शाप देखकर आग-बबूला हो जाते शौर
प्रनेश्न राष्ट्रीय सेषक तथा गेता ऋपने सक्रिय प्रय्णों तपा सेबाओं का
अम्प माप टेलर चकित रह जाते ।
पैरा विष्यास है कि बह समय समीप है जरुकि पीसे रतन बिशास
ठपा बदल चुस्बो भजन बड़ी-बड़ी सप्प्रशियाँ बिस्टृत व स्थापक जागोरे
ओर बड़े-बड़े कारतान बाए्तबिक सम्पत्ति एवं पन के प्रचत्तित मान
दस्घ नहीं रहेंगे बश्यू पासमिक एव मैतिर बिस्वार उनका ह्पाग ले
सेंगे जिदक कारभ ढिसौ भ्यक्त का जीदइस मबिक शामदाबकू ठबा
बैदट्वर हो सबता है। किली ध्यक्ति बी महासता बा अगुमात उसकी
शारसा के सानइध्ड से क्रिया जाएगा। बरइगठा उदार हृदयता
सम्यशा हथा सरशृदि उमबौ महुत्ता हपा उच्चता + घानदृष्ट हाय
जे किएक मोटी दो चैदबुफ़ जिसमे से दह रुपयों के बढ दाटकर घेरने
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