गीत दशक एक | Geet Dashak Ek

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Geet Dashak Ek by कृष्ण कान्त शुक्ल - Krishn Kant shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गीत - पाँच बालू के पथ में जोड लिया रजनीगधा वाला रिश्ता चॉदनी झील में उतर गई दूधिया हुआ जल का दर्पन 1 खामोश रात के हाथों ने खुशबू लिख डाली लहरों पर हो गीत गई लय में कविता बाँसुरी आ गई अधरों पर रोें में डूबी नीस्‍वता हो गया मुखर दृग का निर्जन । अम्बर की उजली राहों से सपने शीशे के घर आये ज्यों चाँदी के गुलदानों में आवारा फूल जगह पाये रसधार में बोरी अँजुरी भर दिया हवाओं ने कम्पन । छवि के भूगोल पढे लोचन, स॒रभित हरियाली के तन में आखिर ऐसा मौसम आया मन बहक गया चन्दन वन में मिल गया प्रयाग प्रतीक्षा का फिर महक गया प्यासा यौवन । गात टशक /१५




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