लाल फूलों की टहनी | Lal Phoolon Ki Tahani

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Lal Phoolon Ki Tahani by विनोदचन्द्र पाण्डेय - VinodChandra Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उसका पक्ष काँपता वक्ष तुम भोले, उदासीन, बेवकूफ फ्लभडियो की तरह मेरी दृष्टि से जलू जाते थे ओर मुझे चुप रहना होता था तुम्हारी दृष्टियाँ मुझ पर बन जाती थी एक बिन्दु मुझे अपना काँपता वक्ष सहना होता था कितनी भीड थी हमारे विश्व में कितनी मजबूरियाँ 2




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