वसुनन्दि - श्रावकाचार | Vasunandi - Shravakachar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतीय ज्ञानपीठ काशी
संव०-पुण्यश्लोका माता मूतिदेवी की पवित्न स्मतिमें
.. तत्सुपुत्न सेठ शान्तिप्रसादजी द्वारा
-: संस्थापित
ज्ञानपीठ मूतिदेवी जेन-ग्रन्थमाला
इस ग्रन्थमालामें प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी, कन्नढड, तासिल आदि प्राचीन भापषाश्रेमें
उपलब्ध आगमिक, दार्शनिक, पौराणिक, साहित्यिक श्रौर ऐत्तिहासिक आदि विविध-विषयक
जैन साहित्यका अ्रभुसन्न्धानपूर्ण सम्पादन ओर उसका मूल ओर यथासंभव
अचुवाद आदिके साथ प्रकाशन होगा। जैन भण्डारोंकी सूचियाँ,
शिलालेख-संग्रह, विशिष्ट विद्वानोंके अध्ययन-अन्थ ओऔर लोकहितकारी
जैन-साहित्य अन्य भी इसी ग्रन्थमाला .में प्रकाशित होंगे।
५&-६३७--+---
ग्रन्थमाला सम्पादक--[््रिकृत और संस्क्ृत-विभाय।]
डॉ० हीरालाल जैन, एम० ए०, डी० लिद्०
डॉ० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्याय, एम० ए०, डी० लिख्०
) #३:३:३:९:१:२:३:१:/३:३:६:/३:२:२:२/३:३:२:३४/५
ग्राकृत ग्रंथांक 32
९:३/४:४:३६:९:५/९/ ९: ४! ९४ ९:३१ ६१:९:९/६:९/९:९?
प्रकाशक---
अयोध्याप्रसाद गोयलीय,
मन््त्री, सारतीय ज्ञानपीठ काशी
« दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस ४
मुद्रक-देवताप्रसाद गहमरी, संसार प्रेस, काशीपुरा, बनारस
« - 1३:६:३:५/९ 7९१३:९:२:३:२१२/:२:३:२:३:८३:३२:२:३:३:२:९/१९:९:२/४४३:/२:२:३/२/३:३१६५/२/५:९:२१२/६:९/२:२/३११:३/३/२/९/९४/२/९ ८३१९४: ९: १४
स्थापनाब्द जे
फाल्गुण कृष्ण ६
| विक्रम॑ स॑ं० २०००
सर्वाधिकार सुरक्षित 1
- बीर नि० २४७० है। ;
१८ फरवरी १६४४
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