वर्णमाला से बाहर | Varnamala Se Bahar

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Varnamala Se Bahar by विनोद दास - Vinod Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यदि मित्र करता फोन वह रिसीवर को क्रेडिल पर धीरे से रख देता चुपचाप मित्रों को न तो दिखाता अपने प्रेमपत्र न पूछता उनकी जेब का हाल वह रहता हमेशा सशकित कहीं उतार न ले उसका अभिन मित्र सफल व्यक्तियों के पते उसकी उस डायरी से जिसमें असफल मित्रों के नाम काट दिए गए थे । वर्षदाला से दाहर / 27




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