भरे हुए घर का सन्नाटा | Bhare Hue Ghar Ka Sannata

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Bhare Hue Ghar Ka Sannata by अजीज आजाद - Ajeej Ajad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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15 आप चिन्तित हैं केवल सुमन के लिए आज खत है पूरे चमन के लिए कोई आए तो आए कहां से यहां रास्ता ही नहीं जब पवन के लिए आदमी बन गया है लपट आग की रक्‍त देना पड़ेगा शमन के लिए ड्रेम का जब भी बनता है वातावरण आ गये लोग क्यूं विषवमन के लिए ब्रार्थनाएं सभी व्यर्थ होने लगीं ज्ञान्ति चाहिए चहले मन के लिए हर त्रफ आजकल चाप का राज है कोई आता नहीं क्यूं दमन के लिए भेरे हुए घर का सन्नाटा /25




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