खुशबू तो बचा ली जाए | Khushabu To Bacha Li Jae

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Khushabu To Bacha Li Jae by लक्ष्मी शंकर वाजपेयी - Laxmi Shankar Vajapeyi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खुद भूल रहे अपनी जो राह देखिए वो हमको कह रहे है गुमराह देखिए कुछ इस तरह चमन मे खिलाए गए है गुल होता है चमन किस तरह तबाह देखिए अब तक डुबो चुका जो कई बार कश्तियों कहता है पार करने को मल्लाह देखिए जैसे वो मुद्द थे औ' जैसा था मुकदमा वैसे ही उन्हें मिल गए गवाह देखिए वो दावेदार बन रहे है रोशनी के आज दामन थे जिनके कल तलक सियाह देखिए रोका उन्होंने लाख नहीं बन्द की ज़ुबा करता रहा गुनाह पे गुनाह देखिए शायर पे कल को कोई भी इल्जाम फिर न दे पहले से कर रहा हूँ में आगाह देखिए खुशबू तो बचा ली जाए/ 75




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