अथर्ववेदसंहिता खण्ड 12 | Atharvedasamhita Khand 12
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
795
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामस्वरूप शर्मा - Ramswarup Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फल ्द्ज्ल जे |
के आदि: कै 1१ 5
क समाष्य अथववेदका दृपयसूची #
व्पिय पृष्ठ
हैं दादश-काणड शेड
प्रथम 'अज्ुवाक-
सधप्रमूक्त | इसमें प्रायः पृथिद्रीरे प्राकृतिक ह्यक्ा
1३ बन है। छुत्र पोराणिफ कयाओ्ोंशों लक्तित करके चणन
हैं । इसमें ऋषिने अनेक दार पृथिदीसे बरों ही प्रार्थना वी
है। सम्दायके अतुसार इसका त्रिनियोग अनेक प्रहारसे
होता है। इस अनुवाकका बास्तोष्पत्यगणयों पाठ है, इसका
(६ विनियो ग३। १२ में है। इसका आग्रद्ायणीकर्पप्रें, एष्टिफर्
में, कषिरर्ममें, पुअथनादिसर्ईमाप्तिकमेमें, त्रीहियय आदिकी
भाप्निपें, हिरएय मणि आदिकी प्राप्तिमें, ग्राम नगर आदि
को रक्षाऊ कर्ममें, भूकम्पके मायरिचिचयें, सोमयक्षमें और
पािदी महाशांतियं प्रयोग किया जाता है।
द्वितोष झनुवाकृ-
प्रथपमूक्त। यह सक्त क्रव्याद अग्निविषयक है ऋरण्याद
अग्निक्ली व्याख्या । क्रष्पाद अभिक्षी मयंकरता, ऋ्व्या-
दृधिडे डपसकोका नाश | क्रच्पाच्छपन । डर
ददीप अनुदक-
मयपसूक्त ) यह स्वर्गोदिनविषयक है। स्परगोदनका
माहत्म्य स्वपोदनसे मिलने वाले फल, स्वर्गीदनकी फर-
प्राप्तिका समय, स्वर्योदवरी रीति | इसझा सबयत्षदिशिषें .
विनियोग होड़ ई ! ध्प
कक ७ ७3 ५ अमकाक जप ३००० कक के वीक पांव ए जहा भू पाक ह फाक कता७++ा-फ पाक का फक भे ज# अन्य...
User Reviews
No Reviews | Add Yours...