आधुनिक कुक्कुट पालन | Aadhunik Kukkut Palan

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Aadhunik Kukkut Palan by गोपाल सिंह - Gopal Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुर्गे मुर्गी वी श्रेप्ठता का निएाय करना/|१७ जाते हैं--जिस मुर्गी व मुर्गे के: नम्बर ज्यादा आरावें उसे ही प्रथम, द्वितोय, तृतीय, घापित क्या जाना चाहिये | काड का नमूना नीचे दिया जाता है -- न 6 8 न 2 का का मम्बर कह भू 4 सिर की बनावट आखा की बनावट व चमक | परा को रगत | प्युविक बोन की बनावट वे आपस का फासला। ४] हू 1 दे | ७ ५ ५ ४ भू बट की हंड्ठी को | पावा की बनावट | वेट की | शारीरिक | जोड बनावट व फासला व रग। बनावट गठन _ ८5 | ६ [६०7३ हू [ है & | १० ११ [| १२ ५ भर भर ५ ५५ नोद --समुगिया भ श्रण्डे देने की क्षमता के लिये ही १०० म से ४० नम्बर रसे जाते है 1 इन ऊपर लिखी वातो की जाच करने ही मुर्भियों की क्षमता का प्रनुमान लगाया जा सकता है, परन्तु यह परीक्षण एक ही दफा करने से काम नही चलेगा । इस प्रकार की छटनी प्राय हर महीने में करते रहने पर अ्रच्छी ही मुरगिया रह जायेंगी । जिनका अण्डो का औसत उत्पादन अच्छां होगा और बुक्कुटशाला को फायदा पहुँचाने वाली होगी ।




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