न्यासतिलक | Nyasatilak

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Nyasatilak by स्वामी श्री नीलमेघाचार्य जी काशी - Swami Shri Neelameghacharya Ji Kashi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवेदन आचार्यमार्वभोम श्रीवेदान्तदेशिक के स्तोत्रों में 'न्यासतिलक' ऐसा स्तोत्र है जिसमे स्तोत्र की शैली से शरणागति का तत्त्व प्रदशित किया गया है । स्तोत्र मे कुल मिलाकर बत्तीस ब्लोक है। शरणागतिशाखर की त्रिपुटी--शरणागत, शरण।!गति और गरण्य-का प्रामाणिक अनु- भव इन ब्लोको के द्वारा प्राप्त होता है। शरणागति करने के पश्चात्‌ शरणागत की जीवनचर्या कंसी होती चाहिये, इसका वर्णन इस स्तोत्र में आात्मोपदेश के ढंग से किया गया है । ध्रीभाष्यसिहासनाधिपति स्वामी श्री नीलमेघाचार्य जी महाराज ते इस ग्रन्थ की विशद हिन्दी व्यास्या की है । वेकुण्ठवासी सेठ श्री मगनीराम जी धाँगड की पुण्यस्मृत्ति मे उनके आ्राचार्य श्रनत्त श्रोसमलकृत जगदगुरु रामानुजाचार्य श्री उत्तराहोविलकालरियामठाधीश्वर स्वामी श्री वालमुकुन्दाचार्य महाराज के नाम से श्रलक्ृत थ्री बालमुकुन्दग्रत्यमाला का आरम्भ किया गया है । इस ग्रन्थमाला के छ पुष्प प्रकाशित हो चुके हैं। सातवें पुष्प के रूप भें उपयुक्त हिन्दी व्यास्या समेत न्यासतिलक स्तोत्र प्रकाशित हो रहा है। शरणागतिमार्ग के अनुरागी इसे अपनाकर भ्रनुग्ृहीत करेंगे, ऐसा विश्वास है । “>सम्पादक




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