आश्रम जीवन | Aashram Jivan

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Aashram Jivan by गाँधीजी - Gandhiji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हसकी एक धमन्परायण महिला १७ खुन बरनवारा हत्यारा पकड़ा गयां। सम पर मुकदमा चला कौर उस मौतती सजा हूट। खूनी रूसरए एवं सस्वारी और शिक्षित युवक था। सूनोब रिए तिरस्थार या नफरत पदा होनेके बजाय एर्जिायेयबे! मनमें घमनिष्ठा उप आई। अपने माता पिता और पतिस उसने यह सीखा था पि सूयुवे समय वर जौर दुष्मतांको भूर जाना चाहिय ओर मरतवाएेबा ईयर चितन करनेरा मौत दिटानमें मंदत करनी चाहिये। एल्जादप अपने पतिव खूनीसे फमिसम जतमें यई। गूनीन पूछा. कषाप बौन ह २ एणश्डिरेप में प्राइ डयूपत़ी दिघया पत्नी हु। तुम्हारा उम्हात कया अपराध बिया था ?े चूती.. मुझ आपरा सूत नहीं करता था। सने बई बार आपता आपई पलिद' माय दंसो था। उस समय भी मेरे हाथमें दम था। ऐपिन आप ग्रांड ड्यूजवे साय था इसलिए मे यम नहा फेंरा। इस यार उर्ें ओश पावर मुच्च यह मौरा मि गया। गहिडायेय. शेगिन भ* आत्मा तुमन यह नहीं सोचा विः मेरे पतिर/ रूस बरब मं शिला स्पनमें तुम मरी मौठस भी उयाहा बरी देगा पर दागरे निोष ड्यूडबका मारत समय तुम्हारे डिटमें जरा नी गषरदी नहीं छूगी? एंत्रिन जो हुआ सा द्र्झा 1 अब शुम्हारी मौत सजहाब है। च्मरिए तुम अपना करयूतर लिए पाना और अभुस क्षमा माया। में तुम्हार लिए बाइवट्यी एक प्रति शोर ह्‌। एलिजार्थने खूनीरे हायमें बाहबट रपा हव झूनीन पक हापमें एए पुर्पश रणा और बहा में यहू घाइबट परण। और आप मरी यह डामरी पढियर्प। श्स हयरीसे आपको एवा च'गा शि झ्1 यह सून गया बरना पद, देशशा रशाद इतानेमें बाधा शारनवाणशा मात बरनकी प्रति मठ कस री और बस उाा पान जिया)” या ा-२




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