बिम्ब बिम्ब चाँदनी | Bimb Bimb Chandani

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Bimb Bimb Chandani by विश्वेश्वर शर्मा - Vishveshvar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नागिन ना छोड़े २ चन्दन का वन बीन पर सपेरे की हार गई धुन । नागिन ना छोड़े रे चन्दन का वन ।। ऐसी मोहक सुगंध जैसा संगीत । सुधि भूले सास रही विप-वर्णी प्रीत ॥। डाल-डाल घूम रही सु घती सुमन । नागिन ना छोड़े रे चन्दन का वन ।। जंब्र-मंत्र-तंत्र सभी निष्फल-निष्काम । हार गई युक्ति यत्न आया ना काम । नये-नये वृक्षों पर लिपटे दिन-दिन । नागिन ना छोड़े रे चन्दव का वन ॥| भूल गई पयली । खुद अपना संसार बांची में बेसुध उस मण्धिर का प्यार ॥। सुख-सौरभ डूबी-सी, उलका तन-मन । नागिन ना छोड़े रे चन्दन का वन । ब्ब्धरं 2 बिम्व विम्ब-चाँदनी ] [ १३




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