आइनों में देखिए गजलें और नज़्में | Aaeenon Men Dekhie Gajalen Aur Najmen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
748 KB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किसके आग्रे जाकर अपने जी का हाल सुनाइए
पत्थर हैं दुनिया वाले; गर चाहें, सर टकराइए
खूं के रिश्तों में भी अब ना कशिर्शा रही ना हमदर्दी
जाकर किस दुनिया में हमदर्मा और हमराज़ बनाइए
और बहुत कुछ है दुनिया में फुर्सत औ” जजवारता नहीं
कहां तलक, कब, कुछ भी, किससे, कैसे, कोई निभाइए
खुदगरजी” नाआश्नाईँ घुली हवाओं में; फिर क्यूं
दिल की बात जुबां पर लाकर अपना खून जलाइए
रन
कंशिरा - आकर्षण /खिचाव
हमदर्दी -- सकट के समय सहानुमूति
हमदम - हर समय का साथी 3:
हमराज - मन की बात जानने वार्ला _,
ज़जबात - भावनाएं बे
खुदग्रजी - स्वार्थ सिद्धि
नाआश्नाई - पहचानते हुए भी न पहचानना
ब
आईनों में देखिए/ 23
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