भगवान बुध्द | Bhagwan Budha

Bhagwan Budha by श्री चन्द्रिका प्रसाद मिश्र - shree Chandrika Prasad Misr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हंस किसका ] | ११ कै. 2 22 22222 224 उसके जख्स को धोकर उसपर पह्टो बाँध दी । देवदत्त को जब मालुस हुमा कि उनका शिकार सिद्धार्थ ने ले लिया है तो वे उनसे भ्हगड़ा करने लगे । उचका कहना था कि जिसके बाण से जीव श्राहुत होता है उस पर उसी का झ्रधिकार होता है । झाखेट का यही नियम है । सिद्धाथे का कहना था कि श्राखेट के नियम श्रपने स्वाथ की हृष्टि से बनाए गए हूं । वे युक्त मान्य नहीं हैं । प्रकृति का नियम यह है कि सारने दालों से बचाने वाले का श्रधिकार अधिक होता हैं । संने हुंस की रक्षा की है इसीलिए इस हंस पर सेरा सधिकार हैं। यह तुम्हें नहीं मिल सकता । विवाद अधिक बढ़ा । देवदत सगड़ा करने पर उतारू हो गया परन्तु सिद्धाथ थी श्पनी बात पर श्रड़े थे । भय से वे किसी बात को स्वीकार करन को तैयार न थे । भरत में राजसभा के सामने यह मासला रखा गया । महाराज ने दोनों राजकुमारों को बातें युनीं । विद्वानों श्र मंत्रियों ने भो उन पर विचार किया । सब की बातें युनकर महाराज शुद्धोदन बोले श्राखेट का नियम उसी ससय लायु हो सकता है जब




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