सरस्वती स्वामी शिवानन्द | Sarswati swami Shivanand

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Sarswati swami Shivanand by स्वामी चिदानन्द सरस्वती - Swami Chidanand Saraswati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(9) वीज वोया जो समग्रानुसार अनुकूत्न सनोवुत्तिबा, पतथ कर सिद्धि का वि्ञालकाय वक्ष बन गया । ' है प्रारम्भिक शिक्षा उन्हों ने संगलौर में पाई। १९३२ में मुधिया चैठी स्कूल मद्रापत में प्रविंष्ठ हुये जहाँ उनकीं गणनी वड़ें होनहार छात्रों में होती थी । अध्यापकों ' तथा 'छाँत्रों दोनों के ही हृदयों में उन्हों ने अपने आदशेमय “ओऔचंरेण की एके गहरी छोप छोड़ी । है मूह न बन गई १९३६ में इन्हों ने लायोला कॉलेज में पदार्पण किया केवल बहुत होनहार छात्रीं कों ही चेंनांव में आने की सौभाग्य प्राप्त होता था । १९३८ में इन्होने बी. ए: की परीक्षा पास. की । एक कटूर ईसाई कोलेजे में 'ईरनकें' छोंत्रकीर्ल की 'थह समय बहुत महत्वपूर्ण रहा । इन के हुंदर्य में थीशू' मसीह और अन्यू ईसाई संतों, की शिक्षाओं तथा हिंरू घेंम॑ के मेंहोन उपदेश का पूर्ण रूपेण संयोग हो गया जिस के फलस्वरूप इन कें' लिए बाइबल में .भी आत्मोत्सगं के उतने ही सधने हैं जितने दि वेद, उपनिषद्‌ था भगवद्गीता में ।' इंमे' की अ्त्ज्योंति भिगगेवीर योशूऔर भगवान कृष्ण को एक हो रूप में देखती थी? इन का परिवार अपने सदाचोर तथा सर्दृव्पंवहार के लि। :मसिंद्ध था। इनके, अपने, जीवन में भी यह गुण प्रचुर मात्रा 3




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