ज्ञाताधर्मकथाङ सूत्र भाग पहेला | Shree Gnatadharama Kathanga Sutram Bhag-1

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Shree Gnatadharama Kathanga Sutram Bhag-1 by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घ अनुफ्रमाह पिपथ २४ श्ष २६ २७ ८ २५९ ३ 0 ३१ ३२ , हरे ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ० 8१ मेप्मुनि के तप' शरीर का वणन मेघसुनि के सलेपना के विचार फा य्गन ल्‍ह मेघछुनि के सलेग्पना धारण करने का यर्णन मेघसुनि फी गतिकफा निरूपण ; उपालम्ग या फ्थन दूसरा अध्ययन रोनगरके जीर्णोध्यान का चणन ४ भद्राभायों फा वणन रु 'विजयतस्पर का वर्णन ह 7 मद्रासाधवाही के विचार या वणन ' है. भद्रासाथयाहों के दोहद का उरणन देबदत दासचेटक का वर्णन घन्यसेठ का विजय चौर के साथ हडिबन्धनादिका चर्णन धन्यसेठ के मोक्षगमन को वर्णन श्रमणों के प्रति भगवान का ठपदेश तीसरा अध्ययन त्तीखरे अव्ययन रा उपक्रम मयूर के अण्डे का वणन विजयद्त्त और सागरदत्त के चरित्रका चर्णन चोथा अध्ययन प्प्ठाडू ५3१-५३७ ५३७-५४४ ५४४-५५४ ५५४-५०६१ ५६२-७५५ ५६६--५७० ५७१-५७५ ५७६-५८७ ५८८-६०२ ६०२-६०५९ ६१०-६३० ६३१-६५५९ ६६०-६६४ &६5४-६७० ६७१- ६७२-६७४ ६७५-७२० शुप्तेन्द्रिय के विषयमे कच्छप और श्वृगालोंका द्रष्टात ७२१-७४९ हम २ समाप्त




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