मुनि अनाथी चरित्र | Muni Anathi Charitra

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Muni Anathi Charitra by पुष्पामुनि - Pushpamuni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २) छोटीसी पुस्तक की स्वयमेष नकछ उतार छी भौर छपवा करें आपके कर कमछों में समर्पित करता हूं । इस प्रुस्तक के प्रूफ संशोधन आदि फाया में उपमन्त्री लाला श्रभ्भुद्याढ जी कंसल ने बहुत सद्दायता की इसके डिये : में झृतज्ञ हूं । इस पुस्तक को और भी श्रधिक एपयोगी बनाने फे लिये 5प- रोक्त मुनि जी के दी रचित कुछ काव्य रख दिये गये है, और कुछ ऐसे संस्कृत के इलोकों का भी संप्रह किया है जिनको पाठक यदि श्रात्तःकाछ नित्य पठन फरने की ऋृपा करेंगे घो वे अद्भुत रस व अत्यानन्द को प्राप्त कर सकेंगे, हम यहां इतना लिखना आवश्यकीय सममते हैं. कि हमको यह इछोक प्राचीन काल के पूर्वांचायी के रचित ऐसे ही उपलब्ध हुए दें, इसलिये पाठक यदि शुद्ध करके पढ़ने की कृपा करेंगे ऐसी में आशा रखता हूं । इस पुस्तक में कविता केसी है ? इसका तो अनुभव हमारे 'वाचक स्वयम्‌ ही कर सकते हैं लेकिित हम तो केवछ मुनिजी की वाल्यावस्था के प्रथम प्रयास फी सराहना करते हुए आपसे अनु- “रोध करते हैं कि, आप इसे सादर भपनायेंगे । इस पुस्तक के प्रकाशित होने में जो फ्रोई प्रामादिक अशु- 'द्वियां रद्द गयी हों तो सुन्ञजन उसे शुद्ध कर पढ़ने की कृपा करेंगे, ' आुल्लेष किंपहुना । चीर सं० २४४९ | ः भवदीय--- आांद्रपद 1२ ;ल्‍ स्बं० १९८० श्रृ० पा० घन्द्रभान गगे




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