श्री प्रात: नित्य स्मरण संग्रह | Shri Prath Nitya Smaran Sangrah

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Shri Prath Nitya Smaran Sangrah by शशिप्रभा शास्त्री - Shashiprabha Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अजित-शान्ति-स्तवन प्र चउदस वर-रयसप-नव-महानिहि-चउ-सटद्ठि- सहस्स-पवर-जुबईरण सुन्दर-बई चुल-सीहय- गय-रह-सय सहस्स-सामी छन्नवइ-गाम-कोडि सामी शसासीज्जो भारहम्मि भयव ॥११॥ (चेढ्ढओ) त सति-सतिकर सतिण्ण सब्ब- भया। स्ति थुखामि जिण स्ति विहेउ मे ॥ १२।। [ रासा नदिय॑ ]इक्खाग विदेह नरीसर नरवसहा सुण्णिवसहा नवसारय-ससि- सकलाणणा विगय-तमा विहुआ रया । श्रजि उत्तम तेश्रगुणेहि महा-सुर्ि-श्रमिश्र-बला विउल कुला परामासि ते भव-भय-सुरण जग सरणा मम सरण ॥1 १३॥ (चित्तलेहा) देव-दाणविद-चदसु र-वद हड्ठु तुट्ट-जिट्ठ-परम- लट्ठ-लव घत-रुप्पपट्ट-सेयसुद्ध-निद्ध-घवल-दत-




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