गद्य भारती | Gadh Bharti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.21 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुदती
द एक नये ढंग का निबंध है । इसे अग्रेंजीवाले तो स्केच कहेंगे पर हिन्दी
मे दिकारी लेख, रेखानिवध अथवा केवल “निवघ' ही कई सकते है । इस निबंध
से उस संघर्ष का चित्र है, वह लड़ाकू और अजेय प्रद्नत्ति अकित है जो मानव मार्च
का हृदय गुदगुदा देती है--वच्चें बूढ़े, स्त्री-पुरुष सभी उसका स्वाद लेते हैं।
प्रकृति और घटना के शब्दचित्र और मनोविज्ञान से इस मगया-साहित्य में कुछ और
ही वात आ जाती है-न किया शिकार भी आनन्दानुभूति का कारण बन जाता है।
श्रीराम दार्मा इस साहित्य के जन्मदाता और लोकप्रिय लेखक है | स्वर्गीय
श्रालोचक पश््सिहद शर्मा ने लिखा था--आप प्रसिद्ध और सिद्ध--अचुक निशाना
लगानेवाले शिकारी हैं। आपके लेखों का भी निशाना सीधा पाठकों के दृदयों
पर जाकर बैठता है । पढ़नेवाला लोट-पोट हो जाता है । अपने ढंग के आप एक
ही लेखक हैं ।' *'**। “ ” । आपकी वर्णुन-दौंली बदी सजीव, भावविश्लेषण
मनोविज्ञानसम्मत और भाषा विषय के अनुरूप बड़ी सुघड़ होती है ।
वस्तु और शैली दोनो की दाद उन्हें मिछ चुकी है, अब कृति में प्रभाव की
गंभीरता देखना है ? क्या यह तात्कालिक प्रशसा उसे कालाश्रित कीर्ति दे सकेगी १
सच्चा उत्तर तो काल ही देगा पर आलोचक-बुद्धि उसे स्थायी सपत्ति मानती है
क्यांकि उसमें उस प्रकृति का चित्र है जो चिरनवीन रहती है ।
इस प्रकार लिबघ के सभी गुण इस लेख में हैं, पर कुछ दोष खटकते है |
पहला दोष है उपदेदा और प्रचार की बत्ति लेख के आरभ में ही यह बेठुका
उपदेश दर्शन देता है । कलाकार का काम है दृढ़संकल्प होकर चित्र खींचना न
कि विकल्प या विचार करना । यह दूसरा काम आलोचक का है । दूसरी खटकनें
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