उपनिषत्तत्व निर्णय | Upanishatattv Nirnay

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Upanishatattv Nirnay by अनन्तानन्द सरस्वती - Anantanand Saraswati

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अनन्तानन्द सरस्वती - Anantanand Saraswati

Add Infomation AboutAnantanand Saraswati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ११ ) जिसको ब्रह्म मुझे विदित-विज्ञात हो गया यह निश्चय है उसे बह्य का ज्ञान नहीं है ऐसा जानना चाहिए । इत्युपपत्ति: इति केनोपनिषद्‌ । अथ कठोपनिषद्‌ । आत्मतच् दुरूह है अतः सुखावबोधा्थ यद्ठ आख्यायिका है। वाजश्रवस्‌ नाम के एक ऋषि फल कामना से जिस ग्रज्ञ में स्वस्थ अपंण किया जाता है उस विश्वजित्‌ नाम का यज्ञ किया । 'उस यज्ञ में अपना सारा घन दे दिया ।? उस यजमान का एक पुत्र था उसका नाम नचिकेता था । जिस समय दृक्षिणा दिये जा रहे थे बृद्धा बृद्धा गोओं देख कर वह श्रद्धायुक्त होकर अपने पिता के कल्याण भावना से विचार किया कि इन गौओं के देने से तो पिता को दुःखप्रद लोक ही प्राप्त होगा। अतः सत्‌ पुत्र को उचित है कि आत्मबलिदान करके भी पिता को दुशख से बचाचे । यह विचार कर अपने पिता से कहा है ! तात मुझे किस ऋत् विज को दक्षिणा में देंगें। दो, तीन बार कहने पर पिता ने कहा तुझे मृत्यु को देंगें। इतना कहने पर उसने विचार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now