प्रभोधसागर | Prabodhasagar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ २
पुरुपाथ सिध्युपाव को सुवोधिनी नामक्की एक विस्तृत और
स्वतेत्र टीका लिखी 6 1| आपको न्यायालुकार, वादीसकेसरी, विद्या-
वारिधि, धर्मवीर आदि पदवियां शराप्त हं। इस समव आपकशश्री. गो. दि.
जन सिद्धांत विधाल्य के सहावक मंत्री हैं ओर मारत वर्षीय दि. जन
महासभा के मुखपत्र जेनाजट के सूत्रघार सम्वादक हैं
६ भाई श्रीलालजी-आप जोहरी हैं जवाहरातका काम अच्छा जानते
हैं । इस समय आप कलकत्ता में व्यापार करते हैं ।
अनुदादकने महाविद्यालय मथुरा ओर संस्कृत विद्याल्य बम्बईम वि
दयाध्ययन किया है| विद्याध्यवन करनेमें न्वायवाचस्पति वा. ग. केसरी पं
गोपाल्दासली, पे. पत्नाठललजी वाकलीवाल, पं. धन्नाछाकजी काशलीवाल
की विशेष कृपा रही है । विद्याध्ययन के चाद प्रायः: अध्यागत
कम में ही ढगे हुए हैं; साथम वहुतसी समाजसेवा भी करते रहे हैं। श्री
भारत वर्षीय दि० जन महासभाने आपकी सेवासे प्रसन्न होकर
धर्नेरन की उपाधि प्रद्यान की है |
1.५०
आपने अबतक नीच लिखे ग्रेथाका अनुवाद किया हैं-आदिपुराण,
उत्तपुराण, शांतिपुराण, सागार धर्मावत, वमप्रेश्नोत्तर, प्रश्नोत्त आ्रावका -
चार, जिनशतक, पान्रकेंसरीस्तोच्र, चारित्रसार, संशयिवदनविदारण, गौतम
चरित्र, साससमुच्चय, सुभो॥्र चरित्र, सक्तिमक्तावडी, दशलाक्षणिक जयमारू,
तत््वानुञासन, वगग्बमणिमाला, द्वाद्यानुप्रेक्षा, प्रवोधसार, चतुर्विशति
सघान, भादि । इनके सिवाबव आड्िपुगण समीक्षा की परीक्षा
दो भाग, परोड्शसंस्कार, वाल्योध जन घममे ३-४ भाग, क्रिया मंजरी
आदि आर भी छोट मा हे ।
: “इस समय पेडितलीके कुटुंचम २ कम्बाएं ओर एक चि. राजेन्द्र
कुमार पुत्र है ।
राजजी सखाराम दोशी र सोलापूर,
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