श्रीभावभावना प्रकरणम् [भाग १] | Shribhavabhavana Prakaranam [Part 1]
श्रेणी : साहित्य / Literature, हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भरते हुए यूढ से गूढ विषयों का भाव-प्रदशन करने में द्विवेदी जी को शैली
प्रसिद्ध है। भाव-प्रकाशन में द्ववंदी जी ने तीन प्रकार की गद्य-शैलियों का
प्रयोग किया है। इन शैलियों की भाषा भावों के अनुरूप रखी गई है । (१),
व्यंगात्मक शैली में (द्विबंदी जी ने भाषा को व्यावहारिक बनाने की चेष्टा '
की है जिससे साधारण पढ़े-लिखे व्यक्ति भी उसे पढ़कर आनन्द लाभ कर
सके । यह शैली उदू -हिन्दी मिश्रित .है। मसखरापन, द्वास्थ-रस का विशेष ,
' गुण है | (२) द्विवंदी जी की दूसरी शैली आलोचनात्मक होती है | इस शेली
की भाषा कुछ गम्भीर और संयत द्वोती है | हास्य-व्यंग का समावेश इस शैली
में नहीं होता | भाषा की रूप प्रथम शैली के अनुरूप दी होता है; किन्तु .'
कथन की प्रणाली आलोचनात्मक़ होने के कारण गम्भीरता ओर ञ्रोज की ,
विशेषता भलकने लगती है 'इसमें उदः के तत्सम शब्दों का प्रयोग भी पाया
. जाता है। (३) द्विवेदी जी की तीसरी शैली गवेषणात्मक रचनाओं के अनु
कू। है। इस शैली की भाषा शुद्ध और संस्कृत शब्दों के प्रयोग से युक्त है।
' इस शैली के भाव प्रदर्शन में विशेष गम्भीरता है किन्तु तो भी दुरूहता का
प्रादुर्भाव नहीं हुआ है । बोधगम्यता और स्पष्टीकरण का इसमें पूरा प्रभाव
है। इस रचना-शैली .से यह स्पष्ट विदित हो जाता है कि लेखक किसी '
गम्भीर विषय का प्रतिपादन कर रहा है । '
इस प्रकार द्विवेदी जी ने भाषा को शुद्धत और एकरूपता को स्थिर
करने में बड़ा योग दिया ओर दिन्दी के अनेक लेखकों का रचना-काल इनकी
शैलियों के द्वारा प्रारम्भ हुआ । 'सरस्व॒ती? ने इस कार्य मे विशेष सहायता
, और सहयोग दिया | दिवेदी जी ने अपनी सम्पादन-पटुता से सैकड़ों लेखकों
माने जाते हैं।
ओर क्रवियों को प्रोत्साहित किया | वर्तमान समय में आप हिन्दी के आचाय
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माधवप्रसाद मिश्र
मिश्रजी यद्यपि गद्य-लेखकों मे श्रन्य लेखकों की ' भाँति, प्रश्तिद्ध नहीं
प्रास कर सके; किन्तु उनके लेखों में उनके ब्यक्तित्व की छाप है | इनकी गद्य
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