रामकथा | Ramkatha

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Ramkatha by धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैदिक साहित्य और रामकथा ७ कृषि की एक अधिष्ठात्री देवी है, जिध्का उल्लेख ऋगेद से लेकर सारे पेदिक साहित्य मे अनेक स्थलो पर होता रहा है। दूसरी सीता का परिचय हमे तैततिरीय आहण से प्राप्त होता है, जहाँ सीता सावित्री, सूर्य की पुत्री, और सोम राजा का उपास्यात किचित्‌ विस्तारपूर्वक दिया गया है। इस सीता का उल्लेख इस स्थान को छोड़कर, वेदिक साहित्य मे और कही नहीं मिलता । पहले इस उपास्यान का थोड़ा 'विश्लेषश किया जायगा और वाद मे सीता, कृपि की अधिष्ठात्री देवी, से सम्बन्ध रखने वाली सामग्री पर विचार किया जायगा । इसके अतिरिक्त सीता” शब्द ( भर्वात्‌ लांगलपद्धति ) का चेदिक साहित्य मे अनेक वार उल्लेख हुआ है । लेकिन उन स्थलो पर सीता में व्यक्तित्व का आरोप नही किया गया है | अतः प्रस्तुत विषय के इृष्टिकोण से महत्वपुर्ण न होने के कारण उन स्थलों का विश्लेषण अनावश्यक है।* सीता सावित्री ८. सोता सावित्री की कंथा हमे द्वचष्णयजुचेंद के तैत्तिरीय ब्लाह्मण भे मिलती है ( २, ३, १० )। किसी काम्य प्रयोग का प्रभाव दिखलाने के उद्देश्य से सीता सावित्री जौर सोम राजा का उपाख्याव उद्धुत किया गया है। इसमे सीता और श्रद्धा दोनो प्रजापति की पुत्रियाँ मानी जाती है । सायण के अनुसार प्रजापति यहाँ पर सविता बर्धातु सूर्य का पर्यायवाची शब्द भाना जाना चाहिए । प्रस्तुत उपास्यान में सीता सोम राजा के प्रेम को स्थागर नामक अंगराग के द्वाद्म प्राप्त करती है, यद्यपि सोम पहले सीता को वहन श्रद्धा से प्रेम करते थे । इस कथा का मूल रूप ऋग्वेद के १, कत्पसन्रो को छोडकर निम्नलिखित स्थलों प्र सीता” शब्द का उल्लेख हुआ है : (१ ) ऋचेद १, १४०, ४1 (२) अथव॑चेद ११, ३, १२ । रे ) थजुवेंदीय सहिताओ मे अश्वमेघ के वर्सान के अतर्गत जहाँ क्षेत्र तैयार करने के लिए हल द्वारा सीताएँ खोची जाती हैं। काठक स० २०, ३ | कपिष्ठल स० ३२, ५-६ । मैत्रायशी सं० ३, २, ४-५।॥ तैत्तिरीय स० ५, २, १, ५, । ६ ४ ) शतपथ ब्राहण १३, ८, २, ६-७ (श्राद्ध के वर्णन मे सीताएं खीचने का उल्लेख ) 1. रर




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