गुल से लिपटी हुई तितली | Gul Se Lipti Hui Titli
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
868 KB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कै
दिल से खेलने वाले बाज आ लड़कपन से,
आईने की हस्ती क्या टूट जाएगा छन से!
शब को चाँद बन-वन् कर झीौंकता है इक चहरा,
नीम और इमली की पत्तियों की विलमन से!
इत्र जैसी खुशबू है, बर्फ जैसी ठंडक है,
ये हवाएँ आती है जाने किसके आंगन से!
मौत के पसीने में जिन्दगी की लहरें है,
वो हवाएँ देते है, शायद अपने दामने से!
अपने कैफ साहब का हाल कुछ निराला है,
शैख़ से अदावत है, जंग है बरहमन से!
गृल से लिपटी हुई तितली / २५
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