उसकी माँ | Uski Maa

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Uski Maa by केवल गोस्वामी - Kewal Goswami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्या होगा ! उदास होने से रोने से--बीते हुए कल पर सोचती है वह प्रश्न तो आज का है आज जो नहीं है गौरवमय अभय, निदेन्द्र ! हल्का-फूल्का ! आकाश में तैरते बादलों की तरह। रक्त सने जूतों से चल सकता है कोई कितनी दूर ? रुक भी तो नहीं सकता -- एक किनारे पल-भर जलती हुई आँखों को मूंद ? फुर्सेत कहाँ-- बहाने को आँसू दो बूंद भीड़--बेतहा शा -“ लाचार--अंधी भीड़ कभी-कभो होती खूंखार अपनी सुरक्षा के लिए करती अंधे वार कहाँ कौन गिरा किसके टुकड़े-टुकड़े कब बिखर गये भूखी सड़कों पर । बड़े इतमीनान से देखे कोई सयाना तो *** कहाँ हैं सयाने लोग ? एक-एक कर स्थाहपोश हो गये किलों कंदराओं में पथरीली दीवारों के पार कोई खजाना है खबरों का लेती है जहाँ स अबवार एक सच ! झूठ कई हजार नफरत--नफरत और नहर फंलती टिट्डीदत को तरह चाटती इन्सानियवकाईईरे सा. .> ० सन




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