मांडूक्योंपनिषद् | Mandukyopanisad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
384
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अथ शान्तिपाठः ॥ |
७० सहन(वबतसहनोसुनक्तसह॒वीय्यकरवावह । सेअस्वीनाव
तमस्त माविद्विपाव ,् ल्
>»शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
सै शान्तिःपाठगुरुस्तुति ॥
३»शु्नोमित्रः शंवरुणः शब्नोभवतवय्यमाशक्नइन्दोबहस्पातिः
शज्नोविष्णरुुऋमः नमोत्रह्मणनमस्तेवायोत्वमेवप्रत्यक्षेत्रह्मासि
लमेवप्रत्यक॑न्रद्मवदिष्यामिऋतंवदिष्यामिसत्येवदिष्यामितन्मास
धतु तद्॒क्कार्मवतुअवतुमामवतुवक्तारस ॥ ७० शान्तिः,३ ॥
3>बह्मविदाभोतिपरम्॥ ,. _.
७० सर््यज्ञानमनंतेत्रह्म 1 “सोयमात्मा” नांतःप्रज्ञंग वहिः
भ्रज्ंनोभयतो प्रज्ञे नप्रज्ञानघनन प्रज्ञे नाप्रज्ञे अहृएसब्यवहायममा
छझमलक्षणम् चिन्त्यमव्यपदेश्यमेकात्मप्रत्ययसारं अपंचोपश्म
शिवमतेचतर्थमन्यन्ते! “सआत्मा, अपहतपाप्मा विजरोविश्त
त्यविशोकोविजिघत्सोपिषास/सत्यकामः सत्यसंकल्पःसोन्चेष्टडय
सविजिज्ञासितव्यः “तहक्षेति। “इह्देवान्तःशरीरे सोम्यसपुरुषः”
निहितंगुहायाँ| “ टश्यतेखप्यावुद्धवासक्ष्मयासक्मद दिीसि:
“आत्मावाभरेद्टव्योओतव्यो मन्तव्यो निदेध्यासितव्योसाक्षा
स्फन्नेति!ं “सयोह वे तत्परसं ब्रह्मवेद बरह्मेवभवति” *
5 1नाठ-परमस्ति| १
“जज्ञानन्दपरमसंखदकंवलक्ञानमात्त
« दिदातेतंगगनसबशंतसमस्यादिरूक्ष्य”
* “एकंनित्य॑विमछसचलंसब्वंधीसाक्षिभ्षतत” -
“सावातोतातन्रिेगुणराहेतेंसदगरुंतन्नमामि
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