जैन - ग्रन्थ - संग्रह | Jain-granth-sangrah

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Jain-granth-sangrah by नन्दकिशोर सांधेलीय - Nandakishor Sandheliy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[२1 सें0 नाम पृष्ठ ३६, समाधिमरण ( कविद्यावतरायकृत) ३६ ४०, वारहसावना (सूघरदासओजी कृत). हे८ ४१, सायंकालकी स्तुति ३६ 8२, प्रसाती-छंग्रह .... ४४ ४३, स्ताज्(यानतरायक्ृत) घर 89, वराग्य भाचवा ... ४२ ४५, समाधिमरण ( पंथ्छूस्वच्धजी कृत) ४५ ४६, जिनवाणीकीस्तुति ७३ ४83, नामावलीस्तात्र... ०४ ४८, मेरी भावना (पं०झुग- लरकिशारजीकृत)... ७५ ४६, इृष्ट छत्तीसी ५ ५०, भक्तामरस्तेच्रसंस्छत ६६ ७१, हिन्दों भक्तामर(पूं७ गिरिधरशर्माजी छत) ७६ ५२, जांलाचना पाठ... $६ ७५३, निर्चाणकाएड(मांपा) ३६ ५७, निवांणकाएड गाथा (संस्कृत) ... ८१ एु५, पंच कल्याणक पाठ ८२ ५६; छहटहाला..... ६१ ( पं० दौलतरामती कृत ) ' ने नाम पृष्ठ ७७, जिन सहस्नताम स्तोत्र १ ०३ ए८, तत्वार्थ सत्रम ... ११२ ०६, रघु अमिषेक्त पाठ १२७ ६०, विंनय पाठ... १२८ ६१; देचशास््र शुरु-पूजा १३० ६२, देवशासत्र शुरू-पूजा ( भाषा ) « ३१४४ ६३, वीसतोर्थकर पूजा ( साया ) « १७६ ६४. विद्यमान बीस .तीरथ॑- करों का अर्घ ...- १०३ ६५, अह्चत्रिम चेत्यारूयों का अघ - शृष३ ६६ सिद्ध पूजा... शृणण ६७, खिद्ध पूजा भवाए्क १६० ६८, सेलहकारणकाअर्घ १६१ ६६, दशलक्षणघर्म काभर् १६१ 3०, रत्नत्रय का अधघ श्च्ृ१ ७१, वीस तीर्थंकर पूजा की अचरी ... श्द्ृ१ $२, सिद्ध पूजा की अचरी १६३ ७३, समुश्चय चौवसी पूजा १६४ 38, सप्त ऋषि पूजा :... १६७ ७५, सेललह कारण पूजा १७६१ 3६, दश लक्षण घन पूजा१७४




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