कैदी | Kaidi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यदि तुम्हारे बाद्शों के अनुसार जीवन चलाना है तो सुझे आज एक तरकीब
सूझी है ।” हा
“मच ! कया ऐसा हो सकता है ?” रेखा उछल पड़ी ।
हो सकता ही नहीं, राजीव तुम्हारे लिए करके भी दिखाएगा।” रेखा
के कम्धे पर हाथ रखकर उसे कमने हुए वह बोला |
अ्वताओं जल्दी बताओ ! ” रेखा को अब ग्रतिज्षा करना कठिन हो
रहा था ।
“हर मास की पहली तारीख को से लगमग एक लाख रुपया बैक से
निकलवाकर अपने आफिस खाता हूं । किसी योजना से वह घन उड़ाया
जाए, फिर नौकरी छूट जाए या छोड़ दी जाए और उस धन से अपना उद्योग
चलाया जाए । राजीब का हाय कुछ द्वोला पढ़ गया । बह सामने शून्य में
देखने लगे पढा।
* फिर ? चुप्र क्यों हो गए ?”
«फिर कार, कोटी, ऐद्वर्य ***
“मच्च*““बहुत बटिया'*“सूब मज़ा आएगा***जीवन जीने का ।/ रेखा
खुशी से उछल पड़ी । उसने अपना सिर राजीव वी गोद में रस दिया।
उसकी आंखों में एक सपना ते रने लग पा । उसने देखा उसकी गरीबी व
अमाब के दिन पुर मे उड़े जा रहे हैं ।
“पर कितनी भी सावधानी रखी जाएं, यह भी संभावना है कि पकड़ा
जाऊं और जेल नेज दिया जाऊं।”
अनही*““नही* तुम्हें जेत मिजवाकर मुझे कुछ नहीं चाहिए ।” रेखा
मानों आसमान से जमीन पर जा गिरी 1
“देखो रेखा, वैसे तो योजना ऐसी बनाऊंगा कि साफ वचकर निकल
आऊ, पर यदि पक्डा भी गया तो क्या है, दो-तीन वर्ष की कैद ही तो होगी '
घन तुम तक पहुंच जाएगा । अपने सारे जीवन को सुखी वनाने के लिए यदि
दोलीन वर्ष की कद भी भुगत लो जाए तो कोई बडी बात नही है। इसके
सिवाय और कोई चारा भी तो नहीं 1”
अकया योजना ऐसे तरोके से नहीं बत सकती कि तुम पर किसीको सत्देह
तक न हो सक्ले ?”
User Reviews
No Reviews | Add Yours...