पंचपंचाशिका प्रारभ्यते | Panchpanchashika Prarabhyate

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Panchpanchashika Prarabhyate by बालमुकुन्द गुप्ता - BALMUKUND GUPTA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फ्ञ्वप्ञाशिकः । घ्् जगः फोर: अगः त॑, गोयधघेनाख्यं परत मां भूमि ब्रेनुम्ता खिर्मान दधाति पात्ति वा, रुद्रप्षेतु योगंगाञ विभर्ति, सा पुनः यः मं सागीरथों दघाति ॥देा। पुनः कीटशः स्वंगः यव्य स शिकः, चे पुनः थः संग: सशिवःक शिवेन कक्याणेन खटद्दिताः, इष्णप्तेतु य: च सशिवः शांकरेंण उमापतिदा हदितः ध्याग- शम्य शत्याशण:, रुद्रपचेतु यःछ सशिवः यः सशिव$3 शिवमा पारयेत्श सद्दितः ॥७॥ पुनः कीटशः संगः यः ख्यमदेहाअयः कामबद्वेहरुय इगाअयः अथवा कार्म ददाति झा छामपधा तारश्या ईदाबा कोर्थ: चेटाया। झाश्रवः कृष्णपद्देतु यः चउाःदेदाश्बः कामदेदस्य प्रयुत्ञ शरीररुप भाभयः, रुद्रपक्तेतु या कामदेहा- अ्यः ऋामदेय सदन धति जरााहयति (द्ोफश्रण्यादने एत्ड- स्माद्धातों: पचायच्‌ ) साकामदा ताइश्या ईद्वया चेश्टाया आशध्यः इसि शेप: ॥ ८॥ भाषा--है सम्बन्धी ज्ञी! अर पका यह संग [ग्िप, संछोग, समागए) फूष्णशी और शिवन्तीफे समान है। आपका धह से औस: £ हि सत्योों श्रासक्त (लगा) है मन जिसका ऐसा । कैसे दे क्रेल्वत्ण .ती फि सत्या भो सत्यमामा तिसमें लग। है मन मिमक्षा ऐसे + फिर हैसे दें सदर (शिवजी) कि सप्तो जो पावती शिनमें लगा है मर जिनका ऐसे ॥ १ ॥ फिर फैसा है संग कि छद्दों (पृर्षाह्नों)को नरकसे चचानेव्राता अथवा बुस्ध्यारी और दुष्ट पुरुषोंक्रा नाशक, कैसे हैं. शरोकृष्णणी कि पति प्रचत जो नरफाघुर तिहफे वध करनेयाले, केते हैं रुद्ध कि भति दुगेम जो नरफ रौसथादि हत़से रचा » श्वः अयसे शिव भद्रं कल्याण महल शुममित्यगरः । ब करचरयानुकूल व्यापार: चेष्टा: ।




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