पट खंडागम | Pat Khandagam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
506
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पृष्ठ
5८
झुद्ठि-पन्न ११
पक्ति अधुद्ध
२० क्षयोपशमक्त अभाव इोनेसे
उसकी उत्पत्ति न दो
८ सकत्तसय
१९ होनेपर सात
२ महुनगाणि
५ थ राहुणिज्जा
५ ॥६१६५९॥
१५ तियमैचोंके बात
१६ शुक्र सत्व स्भाव रूप, तथा
२८ * तिलयाधग ? हति पाठ
खसायराणतो
गामिणो
॥ २२॥
स्खुप्पण्णा चेणश्या
णारिसी
१८ ऐसी
७ ८ धरगम्मये
४ तवाण मण
२३ ऋ्धिधारकों
१ तप्ततव । जले
४ 6९८ 6६ ती 40
३ सहियाण जिणाण
११ है। जिनके
१३ सक्षित जिनोंको
५ जुवायेण
९ पारसब्विहृत्तउ
४ घोरषभ
७ अधोरयम
१९ अपोणद्ष
शुद्ध न
क्षयापशमका भमाव कारण हो
अगुद्डपसेणादिसत्तसय
दवोनिपर अगुष्ठप्रसेनादि सात
मद्ठ अगाणि
यराहणिज्ज्ञा
1१९॥ इदि .,
तिय॑चोंके स्तन, स्वभाव, बात
झुक्र, तथा
* तिलयाणय *, मप्रतौ स्वीकृतपाठ
सायराणमतों
गामिणों
॥ २२ ॥ इदि
स्सुप्पण्णा पण्णा देणइया
तबोबलेण एरिसी
तपके बढ्से ऐसी
घगस्मदे
सवाणे ज्ञिणाण मण
ऋद्धिधारक जिनोंको
तप्ततप । तप्त तपो येपा ते सप्ततपस, 1
जाल
सद्ियाण तत्ततवाण जैणाणं
है| तप्त तप जिनके पाया जाता है ये तप्त-
तपञले ऋषि हैँ | जिनके
सद्दित तप्तवपवाछे जिनोंको
शुदीयण
बारसधिददतउ
घोरगुणबम
अधोरगुणबम
अपोरगुणवक्ष-
का
छ्च्च
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