प्रेम तेज पुष्प | Prem Tej Pushp
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
482
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गुरुपारतव्यवाभक-स्मरणम् ११
जस्स । सम्म सुहम्मसामी, दिसठ सुह सयल
सघस्ध 1 २४ ७ पयइए भहिया जे, भरद्माणि
दिसतु सयल-सघस्स । इयर सुरावि हु सम्म,
जिण गणहर कहिय कारिस्स ॥ २५॥ इय जो
पढइ तिसंझ, दुस्सज्म तस्स नत्यि किपि जए 1
जिणदत्ताणाए विश्ो, सु निद्विभट्ठी सुही होई॥२६॥
न फ् जज
५ गुरुपारतेत्यनामर्क स्परणमू.. .#
मयरहिदर गृुणमण रखण, साथर सायरु
परणमिऊण । सुगुरुजण पारतत, उवहिब्य धुणामि
ते चेव ॥ १ ॥ निम्पहिय मोह जोहा, मिहय॑
विरोहा पणद्र सदेहा। पणयण्ि बस्य दाविश्न,
सुह सदोहा सुगुण भेहा ॥ २॥ पत्त सुजइतत
सोहा, समत्त परतित्य जणिश्न सखोहा । पडि-
भग्य मोह जोह, दसिश्न सुमहत्व सत्यीहा 11३0,
परिहरित्न सबस्वाहा, हयदु्दाहा त्िब-बतर-
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