प्रेम तेज पुष्प | Prem Tej Pushp

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Book Image : प्रेम तेज पुष्प  - Prem Tej Pushp

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुरुपारतव्यवाभक-स्मरणम्‌ ११ जस्स । सम्म सुहम्मसामी, दिसठ सुह सयल सघस्ध 1 २४ ७ पयइए भहिया जे, भरद्माणि दिसतु सयल-सघस्स । इयर सुरावि हु सम्म, जिण गणहर कहिय कारिस्स ॥ २५॥ इय जो पढइ तिसंझ, दुस्सज्म तस्स नत्यि किपि जए 1 जिणदत्ताणाए विश्ो, सु निद्विभट्ठी सुही होई॥२६॥ न फ् जज ५ गुरुपारतेत्यनामर्क स्परणमू.. .# मयरहिदर गृुणमण रखण, साथर सायरु परणमिऊण । सुगुरुजण पारतत, उवहिब्य धुणामि ते चेव ॥ १ ॥ निम्पहिय मोह जोहा, मिहय॑ विरोहा पणद्र सदेहा। पणयण्ि बस्य दाविश्न, सुह सदोहा सुगुण भेहा ॥ २॥ पत्त सुजइतत सोहा, समत्त परतित्य जणिश्न सखोहा । पडि- भग्य मोह जोह, दसिश्न सुमहत्व सत्यीहा 11३0, परिहरित्न सबस्वाहा, हयदु्दाहा त्िब-बतर-




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